Taliban के 'सत्ता' में आते ही फिर जिंदा हुआ महिलाओं में टॉर्चर का खौफ, लेडी आर्टिस्ट ने दिखाया दर्द

काबुल. Afghanistan से अमेरिकी सेना की 20 साल बाद वापसी के साथ ही अफगानी महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी में फिर से खौफ लौट आया है। जिन महिलाओं ने पहले Taliban की क्रूरता का सामना किया है, वे अपनी बच्चियों को वो टॉर्चर जुबां से बयां तक नहीं कर पा रही हैं। भले ही Taliban ने ऐलान किया हो कि वो लड़कियों की पढ़ाई नहीं रोकेगा, लेकिन सबकुछ सामान्य होगा; इसकी किसी को भी उम्मीद नहीं है। क्योंकि हजारा बहुल जिले दायकुंदी में तालिबान ने उस नजीबा लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब तक को तहस-नहस कर दिया, जहां लड़कियां भी पढ़ाई करती थीं। यही नहीं, तालिबान की विरोध करने पर 14 लोगों की हत्या भी कर दी। ये भित्ति चित्र (Afghan Graffiti) अफगानिस्तान की शम्सिया हसानी ने बनाए हैं, जो उन्होंने twitter पर शेयर किए हैं। ये चित्र तालिबान के शासन में महिलाओं की स्थिति को दिखाते हैं।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 31, 2021 4:49 AM IST / Updated: Aug 31 2021, 10:39 AM IST
18
Taliban के 'सत्ता' में आते ही फिर जिंदा हुआ महिलाओं में टॉर्चर का खौफ, लेडी आर्टिस्ट ने दिखाया दर्द

शम्सिया हसानी ( Shamsia Hassani) अफगानिस्तान की पहली भित्तिचित्र कलाकार(Afghan Graffiti Artist) हैं। इस चित्र का टाइटल दिया है-आइए अफगान महिलाओं के लिए प्रार्थना करें! शायद इसलिए कि हमारी(अफगानी महिलाओं की) ख्वाहिशें एक काले घड़े में उगी हैं।
 

28

शम्सिया हसानी काबुल अफगानिस्तान में एक शानदार भित्तिचित्र कलाकार और विश्वविद्यालय व्याख्याता है। उनके कई कार्यों में यही संदेश है कि वे भी तालिबान के बीच लोकप्रिय नहीं होंगी। खतरे में पड़ी हजारों अफगान महिलाओं में से वे एक हैं।
 

38

यूनिसेफ के दक्षिण-एशिया के क्षेत्रीय निदेशक(Regional Director for UNICEF South Asia) जॉर्ज लारिया-अडजेई(George Laryea-Adjei) मानते हैं कि हाल के हफ्तों में हुए अफगानिस्तान में संघर्ष की सबसे बड़ी कीमत बच्चों को चुकानी पड़ी है।

48

जॉर्ज लारिया-अडजेई के अनुसार, बच्चों को स्कूलों से काट दिया गया है। उन्हें बुनियादी हेल्थ सर्विस नहीं मिल पा रही हैं। पोलियो, टिटनेस और अन्य बीमारियों से बचाने वाले टीके नहीं लग पा रहे हैं।

58

जॉर्ज लारिया-अडजेई के अनुसार, अगर यही स्थिति जारी रही, तो अफगानिस्तान में 5 साल से कम उम्र के करीब 10 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाएंगे। लारिया बताते हैं कि 2.2 मिलियन लड़कियों सहित 4 मिलियन बच्चे स्कूलों से बाहर हैं।
 

68

जॉर्ज लारिया-अडजेई के अनुसार, करीब 3 लाख युवा घरों से भागने पर मजबूर हुए। ऐसे बहुत से दृश्य अफगानिस्तान में देखे गए, जो असहनीय हैं।
 

78

बता दें कि 1988 को जन्मी शम्सिया हसानी (वास्तविक नाम: ओम्मोलबिन हसनी) काबुल विश्वविद्यालय में ड्राइंग और एनाटॉमी ड्राइंग की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। 

88

शम्सिया हसानी को काबुल की गलियों में स्ट्रीट आर्ट को लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता है। वे भारत, ईरान, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड, वियतनाम, नॉर्वे सहित कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं। अफगानिस्तान में सालों से चले आ रहे युद्ध को लेकर जागरूकता लाने के लिए हसानी ने काबुल में भित्तिचित्रों का चित्रण किया। 2014 में, हसनी को एफपी के शीर्ष 100 वैश्विक विचारकों में से एक चुना गया था।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos