पाकिस्तान की चर्चित दुआ जेहरा Love Story: हर बार जीत रही बेटी की मोहब्बत, एक बार फिर हारा पिता

कराची. पाकिस्तान में दुआ जेहरा काजमी( Dua Zehra Kazmi) की लवस्टोरी में लगातार ट्ववीस्ट आ रहे हैं। इस मामले को लेकर पाकिस्तान का एक बड़ा तबका न्याय और कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। इधर, हर बार दुआ कानूनी लड़ाई में आगे निकलती जा रही है, जबकि उसके माता-पिता हारते जा रहे हैं। हालांकि वे यह लड़ाई आगे भी लड़ते रहेंगे। 23 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले दाखिल दुआ जेहरा के पिता की याचिका का निपटारा किया। दुआ 16 अप्रैल को गायब हो गई थी। बाद में दुआ अपने प्रेमी जहीर अहमद के साथ निकाह करने का दावा किया था। जेहरा के पिता मेहदी काजमी उसे नाबालिग बताते हुए वापस लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। सिंध हाईकोर्ट ने 8 जून को फैसला दिया था कि जेहरा को पूरी आजादी है कि वो किसके साथ रहना चाहती है, अपने माता-पिता या प्रेमी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की तीन मेंबर बेंच जस्टिस सज्जाद अली शाह, मुनीब अख्तर और मुहम्मद अली मजहर ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र(jurisdiction) में नहीं आता है। दुआ के पिता को उसकी उम्र से जुड़े मामले के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन के लिए संबंधित फोरम से संपर्क करना चाहिए। लिहाजा, दुआ के पिता ने अपनी याचिका वापस ले ली है। हालांकि लड़ाई जारी रहेगी। पढ़िए कोर्ट में क्या हुआ और अब आगे क्या होगा?

Amitabh Budholiya | Published : Jun 24, 2022 3:06 AM IST / Updated: Jun 24 2022, 08:40 AM IST
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 पाकिस्तान की चर्चित दुआ जेहरा Love Story: हर बार जीत रही बेटी की मोहब्बत, एक बार फिर हारा पिता

जस्टिस सज्जाद अली शाह ने दुआ के पिता से कहा-"हम समझते हैं कि आप कैसा महसूस करते हैं, लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की है, उसके भी अधिकार हैं।" सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में दुआ के पैरेंट से पूछा गया कि  क्या वे अपनी बेटी से मिले हैं? इस काज़मी ने जवाब दिया कि उन्हें एक पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में 15 से 20 मिनट के लिए अपनी बेटी से मिलने की अनुमति दी गई थी।

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बता दें कि 8 जून को दुआ के पक्ष में सिंध हाईकोर्ट के जस्टिस जुनैद गफ्फार ने तीन पन्नों के लिखित आदेश में कहा था कि सभी सबूतों के आधार पर यह किडनैप का मामला नहीं है। हालांकि याचिका में कहा गया है कि मेडिकल रिकॉर्ड से पता चलता है कि दुआ की उम्र 17 साल है। जबकि नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NADRA) और अकादमिक दस्तावेजों के अनुसार, वह 14 साल की है।

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कोर्ट ने इस मामले में अब तक अरेस्ट हुए लोगों के बारे में भी पुलिस से पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता(petitioner) को राहत के लिए सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। हाल में जेहरा के मेहदी काजमी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे पवित्र कुरान को सिर पर रखकर कसम खा रहे हैं कि उनकी बेटी झूठ बोल रही है।

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सुप्रीम कोर्ट के बाहर मीडिया से चर्चा करते हुए काजमी के वकील जिब्रान नासिर ने कहा कि उनके मुवक्किल ने दलील दी थी कि किशोरी नाबालिग है। कोर्ट ने कहा कि पहले इसकी पुष्टि की जाए कि दुआ नाबालिग है या नहीं, इसके लिए मेडिकल बोर्ड का गठन जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड के गठन के लिए याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। (दुआ की यह तस्वीर तब की है, जब वो 4 साल की थी)

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सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया है कि इस संबंध में हाईकोर्ट का फैसला बाधा नहीं बनेगा। यानी मेडिकल बोर्ड के गठन के बाद दुबारा सुप्रीम कोर्ट जाएंगे दुआ के माता-पिता। नासिर ने कहा कि अब वे निकाहनामा को चुनौती देने के लिए मेडिकल बोर्ड और फैमिली कोर्ट के गठन के लिए सिंध हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस दौरान ट्रायल कोर्ट में दुआ के कथित हसबैंड जहीर के खिलाफ क्रिमिनल केस चलता रहेगा। दुआ जेहरा का मामला पाकिस्तान में एक सामाजिक बहस का मुद्दा बन गया है। दुआ जेहरा को निकाह को लेकर ज्यादातर लोग खुश नहीं है। उनका मानना है कि इस मामले में दुआ के अभिभावक सही हैं।

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