श्रीलंकाई सरकार की गजब बेइज्जती, प्रदर्शकारियों ने पॉर्लियामेंट के आगे लटका दिए अपने अंडरवियर

वर्ल्ड न्यूज डेस्क. आर्थिक संकट(economic crisis in sri lanka) से जूझ रहे श्रीलंका में अप्रैल महीने से लगातार प्रदर्शन जारी है। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने दुनियाभर के मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने 6 अप्रैल को श्रीलंका पॉर्लियामेंट(Parliament) के आगे अपने अंडवियर टांगकर विरोध जताया। इसे नो अंडरपैंट्स प्रोटेस्ट(No Underpants protest) नाम दिया गया। यह 6 अप्रैल को दुनियभर में मनाए जाने वाले इंटरेनशनल अंडरपैंट्स डे-2022(International No Underpants Day 2022) की  तर्ज पर मनाया गया। बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक संकट की वजह से लोग अब हिंसा पर भी उतरने लगे हैं। रोज ही सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते रोज प्रदर्शनकारियों ने संसद को घेरने की कोशिश की। इस पर पुलिन ने आंसू गैस के गोले दागे। इस बीच विपक्षी पार्टियों से जुड़ीं ट्रेड यूनियनों(Trade unions ) ने सरकार से इस्तीफे के लिए दवाब डालने की कसम खाई है।ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों ने कहा कि पानी, बिजली, बैंकिंग, स्कूल, मुक्त व्यापार क्षेत्र और अन्य क्षेत्र हड़ताल करेंगे। आयोजकों ने कहा कि 28 अप्रैल को उनकी पहली हड़ताल ने सरकार को अस्थिर कर दिया था। अब 11 मई को सरकार को हटाने के लिए अपने संघर्ष को और तेज करेंगे। आगे देखें कुछ तस्वीरें...

Amitabh Budholiya | Published : May 6, 2022 7:57 AM IST / Updated: May 06 2022, 01:38 PM IST

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श्रीलंकाई सरकार की गजब बेइज्जती, प्रदर्शकारियों ने पॉर्लियामेंट के आगे लटका दिए अपने अंडरवियर

सत्तारूढ़ राजपक्षे के खिलाफ चल रहे नागरिकों के विरोध के तहत गुरुवार देर रात श्रीलंका की संसद के बाहर सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किया। उन्हें खदेड़ने पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। बता दें 9 अप्रैल से राष्ट्रपति सचिवालय के पास कोलंबो के समुद्र तट पर हजारों की संख्या में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। इसमें राजपक्षे को तुरंत सरकार छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। 

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श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराते ही देश के ट्रेड यूनियन आंदोलन द्वारा आयोजित हड़ताल में शुक्रवार को लाखों श्रमिक शामिल हो गए। एक को छोड़कर सभी ट्रेन सेवा रद्द करनी पड़ी हैं।

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इस देशव्यापी हड़ताल के दौरान शुक्रवार को श्रीलंका में बस और ट्रेन का नेटवर्क ठप रहा, जबकि कार्यालय और कारखाने भी बंद रहे। बता दें कि ब्लैकआउट के अलावा भोजन, ईंधन और दवाओं की बहुत अधिक कमी ने इस दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र को भयंकर संकट में डाल दिया है। जनता 1948 में स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका का सबसे खराब संकट है।

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श्रीलंका ने कुल कर्ज का 47% दूसरे देशों से ले रखा है। इसमें सबसे अधिक 15% चीन से ले रखा है। श्रीलंका पहले ही कर्ज चुकाने पर हाथ खड़े कर चुका है। राजपक्षे परिवार पर देश को लूटने का आरोप भी लग रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि 2004 से 2014 तक के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 19 अरब अमेरिकी डॉलर का गबन किया है।

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श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर अली सबरी (Ali Sabry) पहले ही कह चुके हैं कि फ्यूल और दवाइयों की सप्लाई को सुचारू करने और आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने श्रीलंका को अगले 6 महीने में करीब 3 बिलियन डॉलर की जरूरत है। लेकिन यह पैसा कहां से आएगा, संशय है।

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श्रीलंका पर पिछले साल 3,500 करोड़ डॉलर का कर्ज था, जो बढ़कर 1,600 करोड़ डॉलर हो गया है। श्रीलंका के ऊपर 47 प्रतिशत कर्ज है। इसमें चीन का 15 प्रतिशत, एशियन डेवलपेंट बैंक का 13 प्रतिशत, वर्ल्ड बैंक क 10 प्रतिशत, जापान का 10 प्रतिशत और भारत का 2 प्रतिशत कर्ज शामिल है।

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श्रीलंकाई सरकार प्रदर्शनकारियों के आगे झुकने को तैयार नहीं है। इससे देश के हालात खतरनाक होते जा रहे हैं।

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