इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक तौर पर दिवालिया होने की कगार पर तो है ही, आतंरिक सुरक्षा को लेकर इस मुल्क का खस्ता हाल है। कट्टरपंथी सरकार पर हावी होते जा रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। अप्रैल में भारी हिंसा को अंजाम देने वाले प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (Tehreek-E-Labbaik Pakistan) ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर आक्रामक मुद्रा में है। संगठन ने अपनी मांगों के लिए इस्लामाबाद तक मार्च शुरू कर दिया है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP)ने इमरान सरकार को फिर चुनौती देते हुए अपनी सभी चार मांगों को पूरा करने की चेतावनी दी है। संगठन की चार मांगों में फ्रांस के राजदूत को मुल्क से निकाला जाना भी है। बीस हजार से अधिक कार्यकर्ता मार्च में शामिल हैं। ये लोग इस्लामाबाद से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर हैं। संगठन ने चेताया है कि अगर उनको रोकने की कोशिश किसी ने की तो जो भी हिंसा होगी उसकी जिम्मेदार सरकार होगी। उधर, इमरान सरकार प्रतिबंधित संगठन की तीन अन्य मांगों को तो मानने को तैयार है लेकिन एक मांग को लेकर वह राजदूत को निकाले जाने मांग मानने से इनकार कर दिया है।