बुधवार को पुरातत्व विभाग के हाथ भिवाड़ी जिले के तिगड़ाना गांव से हड़प्पाकालीन यानी 5000 साल पुराना एक मटका हाथ लगा है। यह मटका वहां चल रही रिसर्च के दौरान मिला है।
भिवाड़ी, हरियाणा. इस धरती में कई प्राचीन सभ्यताएं दफन पड़ी हैं। पुरातत्व विभाग धीरे-धीरे इनके रहस्यों से पर्दा उठाता आ रहा है। हालांकि अभी भी कई सभ्यताएं रहस्य का विषय बनी हुई हैं। ऐसी ही एक सभ्यता है हड़प्पाकालीन। इसे लेकर कई सालों से लगातार रिसर्च चल रहे हैं। इससे हड़प्पाकालीन सभ्यता में रहने वाले लोगों की जीवनशैली का पता चलता है। हालांकि अभी भी कई रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। बुधवार को पुरातत्व विभाग के हाथ भिवाड़ी जिले के तिगड़ाना गांव से हड़प्पाकालीन यानी 5000 साल पुराना एक मटका हाथ लगा है। यह मटका वहां चल रही रिसर्च के दौरान मिला है। बुधवार को टीम हड़प्पाकालीन एक मकान के ढांचे पर रिसर्च कर रही थी, तभी यह मटका उन्हें मिला। टीम का कहना है कि यह मटका उस कालखंड की जीवनशैली के कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा..हालांकि अभी इसमें टाइम लगेगा।
किस काम में आता था मटका..इसका किया जा रहा पता..
पहले जान लें कि 25 जनवरी को पुरातत्व विभाग की टीम रिसर्च के लिए तिगड़ाना गांव पहुंची हैं। इसे हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जाट पाली के पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष एवं पुरातात्विक शोध परियोजना तिगड़ाना के निदेशक डॉ. नरेंद्र परमार लीड कर रहे हैं। यह टीम अप्रैल के अंत तक यहां रहेगी। बुधवार को यहां रिसर्च के दौरान यह मटका हाथ लगा। टीम यह पता लगाएगी कि इस मटके का इस्तेमाल तब के लोग दूध रखने के लिए करते थे या पानी भरने के लिए। हड़प्पाकालीन मकानों की बनावट को लेकर भी रिसर्च चल रही है। टीम यह पता लगा रही है कि वो लोग गोलाकार मकान बनाते थे या चौकोर। यहां से पहले भी मिट्टी की चूड़ियां व खिलौने मिल चुके हैं। माना जा रहा है कि यहां सरस्वती नदी के तट पर कई छोटे-बड़े कस्बे बसे होंगे।