
हिसार, हरियाणा. इस समय सारी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रही है। कोरोना वायरस को तीसरे विश्व युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द COVID-19 का एंटी वायरस तैयार हो जाएगा। दुनियाभर में इस पर युद्धस्तर रिसर्च चल रही है। ऐसी ही एक रिसर्च का हिस्सा हैं..हिसार जिले के एक गांव हरिता के रहने वाले किसान के बेटे अमित सहरावत। अमित ऑस्ट्रिया में एक रिसर्च का हिस्सा हैं। यह प्रोजेक्ट यूरोपियन यूनियन का है। उनकी टीम को एक महीने का समय दिया गया है। यानी इस दौरान उन्हें ऐसी दवा का निर्माण करना होगा, जो कोरोना वायरस को हराने में काम आ सके।
उम्मीद है कि दवा बनान में कामयाब होंगे
अमित के पिता कुलदीप सिंह ने बताया कि वे जिस टीम का हिस्सा हैं, वो उम्मीद कर रही है कि कोरोना वायरस की दवा बनान में कामयाब होंगे। इस टीम में ऑस्ट्रिया के इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोसाइंसेज के अन्य रिसर्च स्कॉलर भी जुटे हैं। यह टीम पहले भी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी है। इसमें वो सफल भी रहे। यही वजह है कि कोरोना वायरस के इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी भी इसी टीम को सौंपी गई है।
अमित ने एक मीडिया को बताया कि 2002-03 में चमगादड़ों के जरिये इंसानों में एक वायरस फैला था। इसे सार्स कहा जाता है। इस वायरस से भी लोगों को जुकाम होता था और सांस फूलने लगती थी। कोरोना उसी का ताकतवर वर्जन है। कोरोना मानव शरीर की सेल्स पर अटैक करता है। उन्हें खाकर अपनी भूख मिटाता है और खुद की संख्या बढ़ाता जाता है। इससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है और वो बीमार का सामना नहीं कर पाते।
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