
चंडीगढ़. डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की फरलो को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में हरियाणा सरकार और याची पक्ष की दलीलें सुनने और फरलो रिकॉर्ड देखने के बाद बैंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। जस्टिस राज मोहन सिंह की बैंच में केस की सुनवाई हुई। अब कभी भी इस मामले में फैसला सुनाया जा सकता है। गुरमीत राम रहीम की फरलो 27 फरवरी को खत्म हो रही है।
डेरा प्रमुख हार्डकोर क्रिमिनल!
पंजाब विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सहोली ने गुरमीत राम रहीम की फरलो को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि डेरा प्रमुख हार्डकोर क्रिमिनल है और फरलो के लिए न्यूनतम जेल अवधि पूरी नहीं की। हालांकि हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में साफ कर दिया था कि डेरा प्रमुख हार्डकोर क्रिमिनल नहीं है। साथ ही उसने जेल में फरलो के लिए न्यूनतम जेल अवधि भी पूरी कर ली थी। उसके जेल रिकॉर्ड को देखते हुए ही नियमों के तहत फरलो दी गई थी।
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2 हत्याओं और साध्वियों से दुष्कर्म मामले में काट रहा सजा
गौरतलब है कि 2 हत्याओं और साध्वियों से दुष्कर्म मामले में डेरा प्रमुख सजा काट रहा है। 27 को फरलो पूरी होने के बाद उसे दोबारा जेल में डाल दिया जाएगा। सरकार की तरफ से सुनवाई के दौरान मामले में रोहतक की डिस्ट्रिक्ट जेल के सुपरिटेंडेंट सुनील सांगवान का हलफनामा कोर्ट में पेश किया गया था।
राजनीतिक लाभ लेने के लिए फरलो दी गई
पंजाब के समाना से निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। याची ने कहा कि पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राम रहीम को राजनीतिक लाभ लेने के लिए फरलो दी गई है। राम रहीम का पंजाब की कई सीटों पर गहरा प्रभाव है और ऐसे में उसकी फरलो से पंजाब में शांति भंग हो सकती है।
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