डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने कहा कोरोना संकट है नेता लोग कहां छिपे हैं ?

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक सरकार ने सांसदों और विधायकों के वेतन में जो 30 प्रतिशत की कटौती की है और 10 करोड़ रु. की सांसद निधि पर भी रोक लगा दी है, यह अत्यंत सराहनीय और अनुकरणीय कदम है। वैसे केंद्र और राज्यों की सरकारें कोरोनाग्रस्त लोगों की जबर्दस्त सेवा कर रही हैं और सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम हमारे नेताओं की इज्जत बचाने में जरुर कारगर होगा। कोरोना-संकट ने यदि किसी वर्ग को कठघरे में खड़ा किया है तो वह हमारे नेताओं को !

Asianet News Hindi | Published : Apr 7, 2020 6:01 AM IST

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक सरकार ने सांसदों और विधायकों के वेतन में जो 30 प्रतिशत की कटौती की है और 10 करोड़ रु. की सांसद निधि पर भी रोक लगा दी है, यह अत्यंत सराहनीय और अनुकरणीय कदम है। वैसे केंद्र और राज्यों की सरकारें कोरोनाग्रस्त लोगों की जबर्दस्त सेवा कर रही हैं और सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम हमारे नेताओं की इज्जत बचाने में जरुर कारगर होगा। कोरोना-संकट ने यदि किसी वर्ग को कठघरे में खड़ा किया है तो वह हमारे नेताओं को ! देश के समाजसेवी, धर्मध्वजी, जातीय संगठन और सांस्कृतिक संस्थाएं भी जरुरतमंद लोगों की जी-जान से सेवाओं में लगी हुई हैं लेकिन हमारे नेतागण कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि भारत के राजनीतिक दल छुट्टी पर चले गए हैं। मानो वे सब अज्ञातवास में खो गए हैं। कोई नेता सड़कों पर, मोहल्लों में, गलियों में, झोपड़पट्टियों में दिखाई नहीं पड़ता। न तो वे भूखों को खाना खिला रहे हैं, न मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं और न ही वे घर से बाहर निकलकर लोगों को तालाबंदी की सीख दे रहे हैं। वे तो ताली-थाली बजाने, बिजली बुझाने- दीया जलाने और टीवी चैनलों पर रटे-रटाए बयान देने और नौटंकियां करने में ही अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रहे हैं। मैं पूछता हूं कि भाजपा के 11 करोड़ सदस्य, कांग्रेस के 2-3 करोड़ और प्रांतीय पार्टियों के लाखों सदस्य कहां अर्न्तध्यान हो गए हैं ? वे वोट मांगने तो घर-घर जूतियां चटकाते फिरते हैं और अब सेवा का काम उन्होंने दूसरों के मत्थे मढ़ दिया है। वे क्या नेता कहलाने के योग्य हैं ? आपने टीवी चैनलों और अखबारों में नेताओं के एक से एक बनावटी चित्र देखे होंगे। वे कैसे थालियां बजा रहे हैं, कैसे दीये जला रहे हैं, कैसे दीवाली मना रहे हैं ? क्या आपने किसी नेता को सड़कों पर भूखे मरते हुए लोगों पर आंसू बहाते देखा है ? इस संकट के समय वे जनता से बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगाए हुए हैं। वे चाहते हैं कि सब लोग उनके कहे का पालन करें। वे आज के लालबहादुर शास्त्री बनने की फिराक में हैं लेकिन वे अपनी कथनी और करनी से स्वयं को लालबहादुर नहीं, गालबहादुर सिद्ध कर रहे हैं। वे अपनी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को सेवा-कार्यो में क्यों नहीं भिड़ाते ? इन पार्टियों के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर जनता को कोरोना-युद्ध जीतने के लिए प्रेरित करने की बजाय एक-दूसरे पर हमले बोल रहे हैं। आगे की नहीं सोच रहे हैं। बासी कढ़ी उबाल रहे हैं।
 

Share this article
click me!

Latest Videos

देश के लिए मर-मिटने वालों का सम्मान नहीं कर सकती कांग्रेस # shorts
शर्म नहीं आती, बाहर आओ...जबरदस्त एक्शन में IAS टीना डाबी-वीडियो वायरल
हरियाणा में सीएम योगी ने क्यों की जहन्नुम की बात, देखें वीडियो
Pitru Paksha 2024: सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया, आखिर कब और कैसे कर पाएंगे श्राद्ध
मुख्यमंत्री आतिशी ने भरा महिला कार्यकर्ता का कान और वो टूट पड़ी, BJP ने शेयर किया वीडियो