हरियाणा सरकार ने राज्य में एस्मा लागू कर दिया गया है। जिसके तहत अब से प्रदेश के शासकीय अधीन काम करने वाले स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी अगले छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे।
गुरुग्राम. हरियाणा सरकार ने राज्य में एस्मा लागू कर दिया गया है। जिसके तहत अब से प्रदेश के शासकीय अधीन काम करने वाले स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी अगले छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे। बताया जा रहा है कि बताया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री विज ने इसकी वजह भी बताई
दरअसल, हरियाणा सरकार में गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने राज्य में एस्मा निमय लागू करने का ऐलान किया है। इसकी उन्होंने कोरोना महामारी बताई है। विज ने अपने ऑफिसियल ट्विटर हेण्डल पेज पर कहा-यह कदम करोना की रोकथाम में बाधा डालने के लिए डॉक्टरों के एक समूह द्वारा हड़ताल पर चले जाने के कारण उठाया गया है।
कुछ देर पहले ही डॉक्टरों ने सरकार को दी थी चेतावनी
बता दें कि आज मंगलवार को प्रदेश के डॉक्टरों ने अपनी अधूरी मांगों लेकर राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कह था कि उनकी नाराजगी का खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ सकता है। राज्य में सरकारी अस्पतालों की ओपीडी मंगलवार को बंद रहेगी। डाक्टरों ने कहा था अगर 12 जनवरी तक उनकी मांगों पर सरकार ने कोई विचार नहीं किया तो वे 14 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान ओपीडी, इमरजेंसी सेवाओं को पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। यहां तक की मृतकों का पोस्टमार्टम भी नहीं किए जाएंगे। इसलए सरकार ने अब एस्मा लागू कर दिया है।
पहले भी लागू हो चुका है ये नियम
बता दें कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में भी कई राज्य सरकारों ने एस्मा कानून को 6 महीने के लिए लागू किया था। इस दौरान राज्य में किसी भी तरह की हड़ताल पर पूरी तरह से पांबदी थी। एस्मा के तहत जरूरी सेवाओं से जुड़े सरकारी कर्मचारी तय समय तक किसी भी तरह की हड़ताल पर नहीं जा सकते थे।
आखिर क्या है एस्मा
संसद द्वारा 28 दिसम्बर 1968 में लागू किया गया। यह कानून हङताल को रोकने के लिए बनाया गया था। अगर कोई भी कर्मचारी या अधिकारी किसी भी मुद्दे को लेकर हङताल करता है तो उस पर ’एस्मा कानून’ लगाया जाता है। एस्मा कानून को लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को मीडिया के माध्यय मे सूचित किया जाता है। यह कानून लगने के बाद 6 महीने तक लागू रहता है। लेकिन अगर आवश्यकता पङे तो सरकार इसे लम्बे समय के लिए बढ़ा सकती है। अगर इसके बाद भी कर्मचारी हड़ताल करते हैं तो वह अवैध और दण्डनीय माना जाता है।
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