पॉलिथीन जानवरों और पर्यावरण दोनों के लिए घातक है। चारा-पानी की तलाश में भटकते जानवर पॉलिथीन सहित कचरा खा जाते हैं। यह बैल इसका उदाहरण है। यह बैल कुछ समय से अजीब हरकतें कर रहा था। वो ठीक से खा नहीं पा रहा था। सांस लेने में भी उसे तकलीफ थी। जब पशु चिकित्सकों ने चेकअप किया, तो पेट में कुछ गड़बड़ी होने की आशंका हुई। इसके बाद उसका ऑपरेशन किया गया, तो ढेर-सारा कबाड़ निकला।
झज्जर, हरियाणा. यह बैल कुछ समय से बैचेन था। अजीब-सी हरकतें कर रहा था। न ठीक से कुछ खा रहा था और न चैन की सांस ले पा रहा था। लोग करीब आते..तो गुस्सा दिखाता। उसके मुंह से लगातार पानी (लार) बह रही थी। जब पशु चिकित्सकों ने इसक चेकअप किया, तो पेट में गड़बड़ी की आशंका हुई। इसके बाद उसका ऑपरेशन किया गया, तो ढेर-सारा कबाड़ निकला। पॉलिथीन जानवरों और पर्यावरण दोनों के लिए घातक है। चारा-पानी की तलाश में भटकते जानवर पॉलिथीन सहित कचरा खा जाते हैं। यह बैल इसका उदाहरण है।
ऑपरेशन करके निकाला पेट से कबाड़..
मामला बहादुरगढ़ के विवेकानंद नगर का है। बैल की तबीयत खराब देख इसकी सूचना गोधन सेवा समिति को दी गई। उन्होंने एम्बुलेंस से नंदी को सांखोल गोउपचार केंद्र पहुंचाया। यहां बैल का ऑपरेशन किया गया। बैल का ऑपरेशन डॉ. राहुल भारद्वाज और उनकी टीम ने किया। करीब 5 घंटे चले ऑपरेशन के बाद बैल के पेट से करीब 150 किलो पॉलिथीन, लोहे के स्क्रैप और सिक्के निकाले गए। डॉक्टरों ने माना कि अगर बैल के पेट से ये चीजें नहीं निकाला जातीं, तो वो कुछ दिनों में ही मर जाता।
आंत में फंस जाती हैं पॉलिथीन
डॉ. राहुल भारद्वाज के मुताबिक पॉलिथीन जानवरों की आंतों में फंस जाती हैं। इससे उनकी पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है। पॉलिथीन की मात्रा अधिक बढ़ने से पेट फूलता जाता है और फिर यह उनके लिए जानलेवा साबित होता है। हालांकि सरकार ने पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया है, बावजूद कुछ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वे खाने-पीने का बचा हुआ सामान पॉलिथीन में बंद करके फेंक देते हैं। जानवर उसे खा जाते हैं।