कैंसर जानलेवा बीमारी होती है, लेकिन अगर सही वक्त पर इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है। कैंसर ना सिर्फ बड़े-बुजुर्ग को अपने जद में लेता है बल्कि बच्चे भी इसके शिकार हो जाते हैं। बाल कैंसर (paediatric cancer) से जुड़े कई मिथक हैं जिसका सच जानना बहुत जरूरी है। चलिए बताते हैं चाइल्डहुड कैंसर (childhood cancer) कुछ मिथक और उसका जवाब।
हेल्थ डेस्क. कैंसर एक घातक बीमारी है। बच्चे जब इसकी जद में आते हैं तो चिंता का बढ़ जाना स्वाभाविक है। पेडियेट्रिक कैंसर यानी बाल कैंसर के ठीक होने की दर करीब 80 प्रतिशत है। लेकिन समाज में इसे लेकर अभी भी जागरुकता की कमी हैं। बचपन में कैंसर को रोका नहीं जा सकता है और ना ही स्क्रीनिंग के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है।लेकिन अगर इसके बारे में जल्द पता चल जाता है तो इलाज संभव है। कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडियोथेरेपी के जरिए इलाज संभव हो जाता है।
परेशान करने वाली बात यह है कि हमारे देश में बाल कैंस के बारे में बहुत ही कम जागरुकता है। यहां पर बचपन के कैंसर की घटनाओं के एक बड़े हिस्से पर अभी भी ध्यान नहीं दिया जाता है। हालांकि हर कैंसर के लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन सभी में जो कॉमन होता है वो है वजन में गिरावट, भूख की कमी, शारीरिक विकास पर असर पड़ना। बच्चों के कैंसर कई मायनों में बड़ों से काफी अलग होता है। बाल कैंसर को लेकर 9 तरह के मिथक है। जिसे दूर करने की जरूरत है। आइए जानते हैं उन मिथकों के बारे में और कैंसर विशेषज्ञ के पास इसका क्या जवाब है।
1. मिथक- बाल कैंसर संक्रामक होता है।
तथ्य- यह सच नहीं हैं, क्योंकि कैंसर फ्लू की तरह गैर संचारी रोग है। यह एक दूसरे से नहीं फैलता है।
2.मिथक-बचपन का कैंसर माता-पिता से विरासत में मिलता है।
तथ्य-सभी बचपन के कैंसर जेनेटिकल नहीं होते हैं। वास्तव में अधिकांश बचपन के कैंसर जेनेटिक पैटर्न और जेनेटिक से संबंधित नहीं होते हैं। यह रैंडम म्यूटेशन के कारण होते हैं।
3. मिथक-बचपन का कैंसर ठीक नहीं हो सकता है।
तथ्य- ये गलत है, बचपन का कैंसर अधिक इलाज योग्य होता हैं। शुरुआत में अगर इलाज हो जाए और ठीक तरह से देखभाल किया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है।
4. मिथक-बचपन में कैंसर होने की वजह से उम्र घट जाती है और लाइफ क्वालिटी कम हो जाती है।
तथ्य- जो बच्चे ठीक हो जाते हैं उनकी आयु अन्य लोगों की तरह ही होती है। अच्छी देखभाल के बाद वो एक अच्छी क्वालिटी की जिंदगी जी सकते हैं।
5. मिथक-बचपन के कैंसर के ठीक होने पर फॉलोअप की जरूरत नहीं होती है।
तथ्य- बचपन के कैंसर से बचे लोगों की किसी भी अन्य कैंसर से बचे लोगों की तरह नियमित फॉलोअप की जरूरत पड़ती है। क्योंकि कैंसर हिस्ट्री होने की वजह से साइड इफेक्ट का खतरा हो सकता है।
6. मिथक: कीमोथेरेपी से बच्चे के बाल हमेशा के लिए झड़ जाते हैं
तथ्य: कीमोथेरेपी के कारण बालों का झड़ना अस्थायी है और इलाज पूरा होने के बाद बच्चे के बाल सामान्य हो जाते हैं।
7. मिथक: कैंसर से ठीक होने के बाद बच्चें के इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे संक्रामक रोग का खतरा रहता है। इसलिए घर से बाहर नहीं खेलने देना चाहिए।
तथ्य -कैंसर के ट्रीटमेंट के कुछ महीनों के भीतर ही बच्चों का इम्यून सिस्टम ठीक हो जाता है। वो सामान्य बच्चों की तरह ही हो जाते हैं। उन्हें खुलकर खेलने का मौका दिया जाना चाहिए।
8. मिथक: बचपन के कैंसर से बचे लोगों बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं।
तथ्य-कई कैंसर सर्वाइवर हैं जिनके बच्चे हुए हैं। ट्रीटमेंट के दौरान इसे लेकर योजना बनाई जाती है और उचित सावधानी बरती जाती है, ताकि बच्चे की फर्टिलिटी प्रभावित ना हो।
9. मिथक: हमें बच्चों को सीधे तौर पर यह नहीं बताना चाहिए कि उन्हें कैंसर है
तथ्य: हम सूचना के युग में जी रहे हैं और बच्चों से कुछ भी छुपाना मुमकीन नहीं हैं। बच्चे का इलाज कराने के पहले उससे बातचीत करना चाहिए और उसे विश्वास दिलाना चाहिए कि वो पूरी तरह ठीक हो जाएगा। उसका विश्वास जीतने के बाद इलाज शुरू करना चाहिए। ताकि वो खुद को मजबूत बना सके और भविष्य को देख सके।
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