क्या है इबोला वायरस, इस देश में हुई एक मौत के बाद दुनिया में मच गया कोहराम

Ebola Virus:इबोला वायरस के दस्तक से पूरी दुनिया डर गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर बातचीत की। इबोला महामारी सितंबर की शुरुआत में मानी जा रही है। आइए जानते हैं क्या है इबोला वायरस जो कोरोना से भी है खतरनाक।
 

Nitu Kumari | Published : Sep 23, 2022 8:50 AM IST / Updated: Sep 23 2022, 02:26 PM IST

हेल्थ डेस्क. युगांडा में इबोला वायरस  (Ebola Virus) का खतरा काफी बढ़ गया है। यहां एक मरीज के मौत की पुष्टि हुई है। यह काफी तेजी से फैल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि एक शख्स में इबोला का लक्षण दिखने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उसने सोमवार (19 सितंबर) को दम तोड़ दिया। इबोला वायरस से अभी सात लोग पीड़ित बताए जा रहे हैं। 

युगांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय में इंसिडेंस कमांडर हेनरी क्योबे ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन प्रेस ब्रीफिंग में घोषणा की। जिसमें यह बताया गया कि महामारी सितंबर की शुरुआत के आसपास शुरू हुई प्रतीत होती है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि मुबेंडे जिले (इबोला के केस मिले हैं) में निगरानी और सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए टीमों को भेजा गया है। साथ ही संपर्क ट्रेसिंग और केस प्रबंधन में टीमों को मदद करने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम भी भेजी गई है। वहीं, आम लोगों से सतर्क और पैनिक नहीं करने की अपील की जा रही है।

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने मामले की पुष्टि के बाद युगांडा में इबोला का प्रकोप घोषित किया है। चलिए बताते हैं खतरनाक इबोला वायरस के बारे में और इसके लक्षण क्या हैं।

इबोला वायरस एक विषाणु का खतरनाक रूप है। जो आपके हेल्थ पर काफी भयानक तरीके से असर करता है। इबोला वायरस के चपेट में आए 100 में से 90 लोगों की मौत हो जाती है। इस वायरस से निपटने के लिए अबतक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। इबोला वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा अफ्रीकी देश  कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य रहा है। डब्लूएचओ ने भी माना कि कांगों में इबोला प्रकोप सबसे ज्यादा है।

इस बीमारी के क्या है लक्षण
-WHO के अनुसार इबोला एक किस्म की वायरल बीमारी हैं। प्रारंभिक लक्षण में बुखार,कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश हो सकते हैं।

-वहीं, दूसरे स्टेज में उल्टी होना, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी ब्लीडिंग हो सकता है।

कैसे फैलता है यह वायरस
मनुष्यों में इसका संक्रमण जानवरों से फैलता है जो इससे संक्रमित होते हैं। संक्रमित जानवरों जैसे चिपैंजी, चमगादड़ और हिरण के सीधे संपर्क में आने से मनुष्यों में यह जानलेवा वायरस पहुंच जाता है।

मनुष्य में जब यह वायरस पहुंचता है तो वो दूसरे को भी इससे संक्रमित कर सकता है। यह छून से, ब्लड से, जूठा खाना खाने और पानी पीने से भी होता है। यहां तक कि इबोला के शिकार व्यक्ति के अंतिम संस्कार भी खतरे से खाली नहीं होता है। बिना सावधानी से मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टरों को भी संक्रमित होने का खतरा रहता है।

कितने दिन में पता चलता है इस बीमारी के बारे में
संक्रमण का पता चलने में दो दिन से लेकर तीन सप्ताह तक का वक़्त लग सकता है। जिसकी वजह से इसके फैलने की संभावना और ज्यादा होती है। इससे संक्रमित व्यक्ति के ठीक हो जाने के सात सप्ताह तक संक्रमण का ख़तरा बना रहता है।

इबोला वायरस का ट्रीटमेंट?

इबोला वायरस से निपटने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बना है। इस पर प्रयोग चल रहा है।  लोगों को संक्रमित मरीज से दूर रहने को कहा जाता है। साथ चमगादड़, बंदर आदि से दूर रहना चाहिए और जंगली जानवरों का मांस खाने से बचने की सलाद दी जाती है।

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