World Blood Donor Day: ये है दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप, जानें क्यों सिर्फ 43 लोगों के पास है ये खून

हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (World blood donor day) सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को ज्यादा से ज्यादा ब्लड डोनेशन के बारे में जागरूक करना है ताकि क्रिटिकल कंडीशन में लोगों की जिंदगी बचाई जा सके। वैसे तो कई तरह के ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप कौन-सा है। 

World Blood Donor Day 2022: हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (World blood donor day) सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को ज्यादा से ज्यादा ब्लड डोनेशन के बारे में जागरूक करना है ताकि क्रिटिकल कंडीशन में लोगों की जिंदगी बचाई जा सके। ब्लड हमारे लिए कितना जरूरी है, इसकी अहमियत तब समझ आती है जब हमारे किसी करीबी को संबंधित ब्लड की जरूरत होती है। वैसे ब्लड कई तरह का होता है, जिनमें ए, बी, ओ और इनके एंटीजन होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे ब्लड ग्रुप के बारे में सोचा है, जो दुनिया में सिर्फ चुनिंदा लोगों के पास ही है। 

गोल्डन ब्लड ग्रुप है सबसे रेयर : 
खून की जब भी बात होती है तो ज्यादातर ए, बी, एबी, O+ और निगेटिव जैसे ब्लड ग्रुप्स के बारे में ही लोगों ने सुना है। लेकिन एक ऐसा ब्लड ग्रुप भी है, जिसके बारे में बेहद कम लोग जानते हैं। इसे ग्रुप को 'गोल्डन ब्लड' कहा जाता है। 

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क्यों सबसे दुर्लभ है गोल्डन ब्लड : 
दरअसल, ब्लड में RH फैक्टर पाया जाता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन होता है। जब यह प्रोटीन आरबीसी में मौजूद होता है तो ब्लड RH पॉजिटिव होता है। अगर यह मौजूद नहीं होता तो ब्लड RH नेगेटिव हो जाता है। लेकिन गोल्डन ब्लड वाले लोगों में RH फैक्टर न तो पॉजिटिव होता है और न ही निगेटिव, बल्कि वो RH Null होता है। यह उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है, जिनका RH फैक्टर शून्य होता है। 

कैसे होता है रेयर ब्लड ग्रुप का निर्धारण : 
वैज्ञानिकों के मुताबिक, रेड ब्लड सेल में सामान्यत: 160 से लेकर 342 एंटीजंस होते हैं। ये एंटीजंस मिलकर एंटीबॉडीज बनाने का काम करते हैं। किसी भी ब्लड ग्रुप का निर्धारण इन एंटीजंस की संख्या पर ही निर्भर करता है। अगर ब्लड में एंटीजंस की संख्या 99% नहीं है तो उसे रेयर ब्लड ग्रुप कहा जाता है। अगर एंटीजंस की संख्या 99.99% तक पहुंच जाती है तो ये रेयरेस्ट ब्लड ग्रुप हो जाता है। 

यूनिवर्सल डोनर होते हैं गोल्डन ब्लड वाले : 
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2018 तक पूरी दुनिया में इस खास गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले सिर्फ 43 लोगों ही मौजूद थे। इनमें ब्राजील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और यूएस के कुछ लोग हैं। गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले लोग यूनिवर्सल डोनर होते हैं। मतलब इनका ब्लड RH null होने की वजह से किसी को भी चढ़ाया जा सकता है, लेकिन अगर कभी उन्हें ब्लड की जरूरत पड़ी तो उन्हें सिर्फ गोल्डन ब्लड ही चढ़ाया जा सकता है। 

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