सर्दियों में बढ़ जाता है इन 7 बीमारियों का खतरा, ऐसे करें इससे बचाव

सर्दियों का मौसम शुरू होते से ही बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि सर्दियों में कौन सी बीमारियों से आपको बचना चाहिए।

हेल्थ डेस्क : सर्दियों का सीजन यूं तो बड़ा अच्छा लगता है। लेकिन ठंड के साथ ही कई बीमारियां भी पनपने लगती है या पुरानी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। अक्टूबर का महीना खत्म होने वाला है और अब मौसम में हल्की सी ठंड महसूस होने लगी है। दिन के समय तो गर्मी लगती है लेकिन रात होते-होते तक ठंड बढ़ जाती है। इस दौरान हमें अपना विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है, क्योंकि ज्यादातर लोग इस दौरान बीमारी की चपेट में आ जाते हैं और उन लोगों को तो खासकर अपना ख्याल रखना चाहिए। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इस मौसम में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है आपको कैसे से बचाव करना चाहिए...

कोल्ड एंड कफ
सर्दी-जुकाम सबसे आम सर्दी की बीमारी है, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक को इस मौसम में सताती है। यह आम तौर पर 7 से 10 दिनों तक रहता है । वैसे तो ये साल के किसी भी समय हो सकता है। लेकिन सर्दियों में इसका खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। 

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लक्षण: भरी हुई/बहती नाक, खांसी, गले में खराश, छींक आना और हल्का बुखार।

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस
आरएसवी यानी की रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस फेफड़ों और वायुमार्ग का एक संक्रमण है जो आमतौर पर 1 से 2 सप्ताह तक रहता है। बच्चों में आरएसवी गंभीर हो सकता है।

लक्षण: घरघराहट / सीटी जैसी सांस के साथ सर्दी, सांस लेने में तकलीफ आदि।

इन्फ्लुएंजा 
सर्दी के दिनों में इन्फ्लुएंजा का खतरा तेजी से बढ़ता है। यह अमूमन 3 से 7 दिनों तक चलता है। इसे यदि पहले 48 घंटों के अंदर पकड़ा जाए, तो टैमीफ्लू फ्लू की अवधि को कम कर सकता है। नहीं तो ये गंभीर रूप ले सकता है।

लक्षण: मांसपेशियों में दर्द, बुखार, सिरदर्द, थकान, सूखी खांसी, नाक बहना और गले में खराश।

क्रुप
क्रुप एक वायरल संक्रमण है जो 1 सप्ताह तक रह सकता है। ये खासकर बच्चों के ऊपरी वायु मार्ग में होने वाली संक्रमण की समस्या है। ये कोरोना की तरह ही एक संक्रामक बीमारी है, जो एक-दूसरे के संपर्क से फैलती है।

लक्षण: खांसी और खांसी के साथ बुखार और नाक बहना।

निमोनिया
निमोनिया वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाला फेफड़ों का संक्रमण है, जो 2 से 3 सप्ताह तक रह सकता है। बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है।

लक्षण: पीले या हरे रंग के बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द, ठंड लगना, तेज बुखार और तेजी से सांस लेना। लक्षण तेजी से आ सकते हैं।

स्ट्रेप थ्रोट
एक संक्रामक जीवाणु संक्रमण जो 1 से 2 दिनों तक रह सकता है। इसमें जीवाणु के संपर्क में आने के बाद आंख, कान और गले को छूने से व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। स्ट्रेप को एंटीबायोटिक दवाओं के साथ आसानी से और जल्दी से इलाज किया जा सकता है।

लक्षण: गले में खराश, निगलने में परेशानी, बुखार और पेट दर्द। स्ट्रेप थ्रोट के साथ खांसी और बहती नाक 

टॉन्सिल्स
सर्दी में टॉन्सिल्स की समस्या बहुत कॉमन है। इसमें गले के पीछे अंडाकार नुमा टिशू पैड्स में सूजन आ जाती है, जिसे टॉन्सिल कहते हैं। यह अमूमन हवा में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है।

लक्षण: गले में दर्द, खाना निगलने में कठिनाई ,कान के निचले भाग में दर्द, जबड़ों के निचले हिस्से में सूजन, छोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ आदि।

और पढ़ें: सर्दी शुरू होते ही सताने लगा है सर्दी-जुकाम और खांसी का खतरा, तो इससे बचने के लिए अपनाएं ये नुस्खे

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