लंबे वक्त से कहा जाता रहा है कि दिन में दो बार ब्रश करने से दांतों की सड़न को रोकने में मदद मिलती हैं। पिछले कुछ शोध में यह भी सामने आया है कि दांतों को टिप-टॉप स्थिति में रखने से आयु लंबी होती है। लेकिन अगर इसकी सही देखभाल नहीं की जाती है तो 4 खतरनाक बीमारियों को भी ये निमंत्रण देता है।
हेल्थ डेस्क. चमकता हुआ और बदबू रहित दांत आपके व्यक्तित्व को निखारता है। लेकिन बहुत ही कम लोग अपने दांतों की सफाई पर ध्यान दे पाते हैं। जिसकी वजह से की तरह की मसूड़े की बीमारियां होती हैं। इतना ही नहीं कई और बीमारियों को यह निमंत्रण भी देता है। दुनिया भर में 20 से 50 प्रतिशत लोगों को मसूड़े की बीमारियां (Gum diseases) प्रभावित करती हैं। यह रोग जो अपने स्टार्टिंग एज में मसूड़े की सूजन कहा जाता है कुछ नियमित फ्लॉसिंग के साथ पूरी तरह इलाज योग्य होता हैं।
अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो मसूड़े की बीमारी दांतों के टूटने तक बढ़ सकती हैं। इतना ही नहीं कई और बीमारियों को बुलावा दे सकता हैं। एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी के डॉक्टर क्रिस्टीन ब्रायसन ने एक अंग्रेजी वेबसाइट से बातचीत में कुछ खतरनाक बीमारियों के बारे में बताया है जो मुंह से जुड़ा हुआ है।
1. अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease)
कई बड़े अध्ययनों में पाया गया है कि मध्यम या गंभीर मसूड़े की बीमारी डिमेंशिया से अहम रूप से जुड़ी हैं। मनोभ्रंश (अल्जाइमर) में पीड़ित व्यक्ति के मानिसक क्षमता बिगड़ जाती हैं। मसूड़े की बीमारी और दांत खराब होने से पीड़ित लोगों में अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, मसूड़ों की बीमारी में पाये जाने वाले बैक्टीरिया जिंजिवालिस, अल्जाइमर रोग से मरने वाले लोगों के दिमाग में भी पाया गया था। यह बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम को बंद कर देता है और सूजन को लंबे वक्त तक रखता है जिससे बीमारी फैलती जाती हैं। अपने मुंह के स्वास्थ्य की देखभाल करना अल्जाइमर रोग के जोखिम को कम करने का एक तरीका हो सकता है। जिन लोगों कों डिमेंशिया हैं वे बीमारी के शुरुआती चरण में अपने दांत पर ब्रश करना भूल जाते हैं। वर्तमान में यूके में पहले से कहीं अधिक 944,000 लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, और यह संख्या बढ़ने का अनुमान है।
2. हार्ट डिजिज (Cardiovascular disease)
विशेषज्ञ का कहना है कि हार्ट डिजिज मसूड़ो की बीमारी से मजूबत रूप से जुड़ा हुआ है। एक बड़े स्टडी में 60 से अधिक उम्र के 1600 से अधिक लोगों में मसूड़ों की बीमारी को पहले दिल के दौरे के करीब 30 प्रतिशत अधिक जोखिम से जोड़ा गया था। हाल ही में स्टडी में पता चला है कि पुरानी मसूड़ों की बीमारी के कारण होने वाली सूजन से शरीर की स्टेम कोशिकाएं न्यूट्रोफिल का प्रोडक्शन करती हैं। ये कोशिकाएं धमनियों को लाइन करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। जिससे धमनी यानी आर्टरी को डैमेज करती हैं। जो हार्ट डिजिज को ट्रिगर करती हैं।
3. टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes)
मसूड़े की बीमारी से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता हैं। डॉक्टर की मानें तो दोनों बीमारियों को जोड़ने वाली प्रक्रियाएं बहुत अधिक शोध का केंद्र हैं, और यह संभावना है कि प्रत्येक स्थिति के कारण होने वाली सूजन दूसरे को प्रभावित करती है। गम रोग भी इंसुलिन प्रतिरोध में भूमिका निभाता है जिससे टाइप 2 डायबिटीज बढ़ सकता हैं।
4. कैंसर (Cancer)
मसूड़े की बीमारी कई प्रकार के कैंसर के विकास के अधिक जोखिम से भी जुड़ी हुई है।जिन रोगियों ने मसूड़ों की बीमारी का इतिहास होने की सूचना दी थी, उनमें ग्रासनली के कैंसर का 43 प्रतिशत अधिक जोखिम और पेट के कैंसर का 52 प्रतिशत अधिक जोखिम दिखाया गया था। अन्य शोधों में यह भी बताया गया है कि पुरानी मसूड़े की बीमारी वाले लोगों में किसी भी प्रकार के कैंसर विकसित होने का 14-20 प्रतिशत अधिक जोखिम होता है।
कैसे रोके मसूड़े की बीमारी को
डॉक्टर क्रिस्टीन की मानें तो शुरुआती स्टेज में मसूड़े की बीमारी को रोका जा सकता है। हालांकि जिन्हें ये जेनेटिकली मिली हैं उन्हें हमेशा इसका देखने की जरूरत होती हैं। लाइफस्टाइल में बदलाव करके वो इसे कंट्रोल कर सकते हैं।कम चीनी खाने, तंबाकू और शराब से बचने और तनाव कम करने से मसूड़ों की बीमारी को रोका जा सकता है।
कुछ दवाएं भी जैसे एंटीडिप्रेसेंट और हाई बल्ड प्रेशर की दवाएं लार के प्रोडक्शन को कम कर सकती हैं जिससे आपेक मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ सकता हैं। इन दवाओं को लेने वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। वो जेल या स्प्रे का उपयोग करके इसे दूर कर सकते हैं। इसके अलावा दांतो की सफाई के लिए फ्लोराइड टूथपेस्ट से रोजाना दो बार ब्रश करना चाहिए। ब्रश करने के बाद माउथवॉश का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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