स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी के सिर पर अंग्रेजों ने रखा था 10 हजार का इनाम, पेड़ से बांधकर मारी थी गोली

स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीता रामा राजू ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। अंग्रेजों ने उनके सिर पर 10 हजार रुपए का इनाम रखा था। 27 साल की उम्र में उन्हें पेड़ से बांधकर गोली मार दी गई थी। 

नई दिल्ली। अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजादी यूं ही नहीं मिली थी। आजादी की लड़ाई में देश के लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। ऐसे ही एक वीर स्वतंत्रता सेनानी थे अल्लूरी सीता रामा राजू। अंग्रेज उनसे इतना खौफ खाते थे कि उनके सिर पर 10 हजार रुपए का इनाम रखा था। उन्हें जंगल में पेड़ से बांधकर गोली मार दी गई थी। अल्लूरी सीता रामा राजू ने आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी थी। 

सैकड़ों पीढ़ियों से आदिवासियों से उनकी जमीन छीनी जा रही है। भारत की आजादी के 70 साल बाद भी उनकी दुर्दशा बदतर ही हुई है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान आदिवासी लोगों के अपनी ही जमीन से अलग होने की कहानी शुरू हो गई थी। भारत की वन संपदा को लूटने के लिए अंग्रेजों ने विभिन्न जनविरोधी कानूनों के माध्यम से स्वदेशी मालिकों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया था। 

Latest Videos

भारत के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों ने इन कानूनों और अंग्रेजों के शासन के खिलाफ संघर्ष किया था। आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीता रामा राजू के नेतृत्व में वीर रंबा विद्रोह उनमें से प्रमुख था। 4 जुलाई 1897 को विशाखापत्तनम में जन्मे अल्लूरी अपने स्कूल के दिनों में मदुरै अन्नपूर्णय्या के करीबी सहयोगी बन गए थे। अध्यात्म से आकर्षित होकर अल्लूरी ने स्कूल छोड़ दिया था और तपस्वी बनकर गोदावरी के जंगलों में रहने लगे थे।

चुना था उग्रवाद का रास्ता 
जंगलों में अपने जीवन के दौरान अल्लूरी ने देखा कि अंग्रेजों के वन कानूनों द्वारा किस तरह आदिवासी लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है। इसके बाद उन्होंने आदिवासियों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए संगठित किया। उन्हें जंगल के नायक मान्यम वीरुडु के नाम से जाना जाने लगा। हालांकि अल्लूरी ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन को समर्थन देने का वादा किया, लेकिन उन्होंने उग्रवाद का रास्ता चुना। 

पेड़ से बांधकर मारी गई थी गोली
अल्लूरी के नेतृत्व में आदिवासी सैनिकों ने छापामार रणनीति के माध्यम से जंगलों में विभिन्न स्थानों पर ब्रिटिश अधिकारियों पर हिंसक हमले किए। रंबा विद्रोह 2 साल से अधिक समय तक चला। अंग्रेजों ने उनके सिर पर 10,000 रुपए का इनाम रखा था। अल्लूरी को 7 मई 1924 को चिंतपल्ले के जंगलों से पकड़ लिया गया था। 27 साल  के तपस्वी उग्रवादी को पेड़ से बांधकर गोली मार दी गई थी। अल्लूरी का मकबरा विशाखापत्तनम के पास कृष्णदेविपेटा में स्थित है।

Share this article
click me!

Latest Videos

Christmas Tradition: लाल कपड़े ही क्यों पहनते हैं सांता क्लॉज? । Santa Claus । 25 December
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts