दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के चंगुल में फंसे इस ड्रग्स तस्कर की कहानी चौंकाती है। अगर पहले ही इसकी हरकतों पर रोक लगा दी जाती, तो आज ये आतंकवादियों का मददगार नहीं बन जाता। यह अपराधी 2005 में बकरी चोरी करके बेचा करता था। लेकिन अमीर बनने की हवस में ये 2008 में उग्रवादी संगठन पीएलएफआई से जुड़ गया। यहां खुद को क्रूर साबित करने उसने एक बस फूंक दी थी। फिर ये ड्रग्स तस्करी का किंग बन बैठा।
चतरा, झारखंड. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के चंगुल में फंसे इस ड्रग्स तस्कर की कहानी चौंकाती है। अगर पहले ही इसकी हरकतों पर रोक लगा दी जाती, तो आज ये आतंकवादियों का मददगार नहीं बन जाता। यह अपराधी 2005 में बकरी चोरी करके बेचा करता था। लेकिन अमीर बनने की हवस में ये 2008 में उग्रवादी संगठन पीएलएफआई से जुड़ गया। यहां खुद को क्रूर साबित करने उसने एक बस फूंक दी थी। फिर ये ड्रग्स तस्करी का किंग बन बैठा। इस अपराधी का नाम है संतोष सिन्हा। यह चतरा के हंटरगंज ब्लॉक के एक छोटे से गांव करैलीबार का रहने वाला है। छोटी-मोटी चोरियां करने वाले इस अपराधी को दिल्ली पुलिस ने 8 किलोग्राम हेराइन के साथ पकड़ा है।
अमीर बनने के लिए दलदल में उतर गया..
पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि संतोष ने 2005 में छोटी-मोटी चोरियों के जरिये अपराध की दुनिया में कदम रखा था। वो बकरियां चोरी करके बेच दिया करता था। लेकिन उसे रातों-रात अमीर बनना था। लिहाजा उसने 2008 में उग्रवादी संगठन पीएलएफआई से जुड़कर आतंकी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया। खुद को साबित करने एक बार उसने निजी यात्री बस में आग लगा दी थी। इस आरोप में उसे जेल जाना पड़ा था।
जेल से निकलने के बाद संतोष अवैध तरीके से पोस्ता की खेती करना लगा। उसके इस धंधे से कई लोग जुड़ गए। कई लोग उसे संरक्षण देने लगे। इस तरह संतोष अफीम-चरस आदि ड्रग्स की तस्करी का कुख्यात नाम हो गया। हालांकि इस धंधे में उग्रवादियों की पैठ होती है, इसलिए संतोष बेताज बादशाह नहीं बन पा रहा था। लेकिन जैसे ही उग्रवाद की कमर टूटी..यह बदमाश ड्रग्स तस्करी में उठ खड़ा हुआ। हालांकि अब पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद उसके सारे मंसूबे धरे रह गए हैं। पुलिस उसके नेटवर्क को खंगाल रही है, ताकि इस काले धंधे का पूरा साम्राज्य तहस-नहस किया जा सके।