झारखंड में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ, क्या है 6000 साल पुराने सिर कटे मां काली का रहस्य

झारखंड में स्थित छिन्नमस्तिके का मंदिर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ है। इस मंदिर की अनोखी बात है सिर कटी काली मां जानिए क्या रहस्य है  उनके सिर कटे होने का। क्यो यहां प्रतिदिन 100 से 200 बकरों की चढ़ती है बलि।

रामगढ़. झारखण्ड के रामगढ़ जिले में दामोदर और भेड़ा नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिका का मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है। मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है। मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत युग से बना हुआ। यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। असम स्थित मां कामाख्या मंदिर को सबसे बड़ा शक्तिपीठ माना जाता है। यहां मां काली की सिर कटी प्रतिमा स्थापित है। 

ऐसी है मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर का नजारा
मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर स्थित शिलाखंड में मां की 3 आंखें हैं। वे कमल के फूल पर खड़ी हैं। पांव के नीचे कामदेव और रति सोई अवस्था में दिखाई पड़ते हैं। मां छिन्नमस्तिके के गले में सांप लिपटा हुआ है। बिखरे और खुले केश, जिह्वा बाहर, आभूषणों से सुसज्जित मां नग्नावस्था में दिव्य रूप में हैं। दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना ही कटा मस्तक है। इनके अगल-बगल डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं जिन्हें वे रक्तपान करा रही हैं और स्वयं भी रक्तपान कर रही हैं। इनके गले से रक्त की 3 धाराएं बह रही हैं।

Latest Videos

देवी ने क्यों काटा था अपना ही सिर, छिन्नमस्तिका नाम के पीछे क्या है रहस्य
मान्यता है कि देवी  छिन्नमस्तिका अपनी दो सखियों जया और विजया के साथ नदी में स्नान करने गई थी। इसके बाद माता की सहेलियों को भूख लगी। भूख के कारण उनका शरीर काला पड़ने लगा। अपनी सहेलियों का दुख माता से देखा नहीं गया उन्होंने अपना सर धड़ से अलग कर दिया। उनकी गर्दन से खून की तीन धाराएं बहने लगी। दो धाराओं से उन्होंने अपनी सहेलियों को रक्तपान कराया और तीसरे से खुद भी रक्तपान किया। माता ने अपना सर छिन्न कर दिया था। इस कारण ही उनका नाम छिन्नमस्तिका पड़ा।

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है, काली का चंडिका स्वरूप
छिन्नमस्तिका देवी काली का चंडिका स्वरुप है जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक हैं। देवी बुराई का सर्वनाश करने के लिए विशेष तौर पर जानी जाती हैं। कहते हैं इनकी कृपा से काले जादू का बुरा प्रभाव और हर प्रकार के भय खत्म हो जाते हैं। इनकी कृपा पाने के लिए काली कवच को धारण करें इसमें शामिल अलौकिक और चमत्कारिक शक्तियां आपके आभामंडल में कवच बनाकर आपकी रक्षा करेंगी।

मंदिर कितना पुराना, यह भी रहस्य 
पुरातत्व विभाग आज भी इस मंदिर के निर्माण का सटीक प्रमाण नहीं दे पाया है, कोई इस मंदिर को महाभारत के समय का बताता है तो कोई इस मंदिर को 6000 साल पुराना बताता है। लेकिन ये मंदिर कितने समय पुराना है ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है। मंदिर का उल्लेख कई पुराणों में भी हुआ। माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी आता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है इसलिए इसे मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी भी कहा जाता है। इस मंदिर के साथ साथ यंहा अन्य देवी देवताओं के सात और मंदिर हैं, तथा मंदिर के सामने बलि का एक स्थान भी बना हुआ है, जहां पर तकरीबन सौ से दो सौ बकरों की बलि दी जाती है। इस मंदिर के पास दामोदर नदी तथा भैरवी नदी का अनोखा संगम है। 

ऐसे होती है पूजा-अर्चना
मंदिर में सबह 4 बजे से ही माता का दरबार सजने लगता है। यहां पर शादी-विवाह, मुंडन, उपनयन अन्य संस्कार कराए जाते हैं। दशहरे के मौके पर तो 6 किलोमिटर तक भक्तों की कतार लग जाती है। मंदिर के आस पास फल-फूल, प्रसाद की कई छोटी-छोटी दुकानें हैं। आमतौर पर लोग यहां सुबह आते हैं और दिनभर पूजा-पाठ और मंदिरों के दर्शन करने के बाद शाम होने से पूर्व ही लौट जाते हैं। ठहरने की अच्छी सुविधा यहां अभी उपलब्ध नहीं हो पाई है।

यह भी पढ़े-  झारखंड के चाईबासा में गंभीर बीमारी से बचने के लिए की जाती है अनोखी पूजा

बाबा बैजनाथ के बाद बासुकीनाथ का सर्वाधिक महत्व, उनके दर्शन के बिना अधूरी है बाबा की पूजा

Share this article
click me!

Latest Videos

Syria Civil war: सीरिया से वापस लौटे Indians, सुनाई तबाही की खौफनाफ कहानी | Israel Syria
महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार की तैयारी पूरी, जानें कौन होगा शामिल और कौन बाहर? । Maharashtra Cabinet
कट गया कनेक्शन... असद के जाते ही सीरिया में सिमटने लगा हिजबुल्लाह!
शंभू बॉर्डर पर किसानों-पुलिस में तनातनी, आंसू गैस के दागे गोले, 15 किसान घायल
दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती हुए लालकृष्ण आडवाणी, बिगड़ गई थी तबीयत