कोलकाता में कैश के साथ पकड़ाए कांग्रेस के तीनो विधायक की कोर्ट में सुनवाई 5 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है, वहीं दलबदल मामलें में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी भी हाईकोर्ट की शरण ली है। बोले- स्पीकर ने नियमानुसार नहीं की सुनवाई।
रांची (झारखंड). झारखंड में सियासी बवाल मचा हुआ है। इसी बीच कांग्रेस के तीन विधायकों जिनको कांग्रेस ने पार्टी से निलंबित कर दिया है। वहीं दलबदल के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की भी सुनवाई चल रही है। बुधवार को कांग्रेस से निलंबित तीनों विधायकों के मामले पर झारखंड विधानसभा अध्यक्ष की अदालत में सुनवाई हुई। कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विल्सन कोंगाड़ी के खिलाफ पार्टी के ही अनुप सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की और भूषण बाड़ा ने सदस्यता समाप्त करने के मामले पर एक सितंबर को रिपोर्ट मांगी थी। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने मामले की सुनवाई की। कांग्रेस के तीनों विधायकों ने सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया कि उनके पास मोबाइल नहीं है नेटवर्क की प्रॉब्लम रहती है लैपटॉप के माध्यम से सुनवाई पांच सितंबर को किया जाये। कैश कांड में फंसे तीनों विधायकों के मामले की सुनवाई पांच सितंबर को रखी गयी है।
बाबूलाल बोलें- स्पीकर ने नियम के अनुसार सुनवाई नहीं की
पूर्व सीएम और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने दलबदल मामले को लेकर हाईकोर्ट में शरण ली है। रिट याचिका में उन्होंने कहा है कि दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा के स्पीकर के कोर्ट में नियमानुसार सुनवाई नहीं हुई है। न्यायाधिकरण ने उनकी गवाही और बहस सुने बिना ही केस को जजमेंट पर रख दिया है। बाबूलाल मरांडी की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव शर्मा ने याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में विशेष मेंशन किया है।
दलबदल के कुल सात मामले स्पीकर के पास लंबित
गौरतलब है कि दलबदल मामले में कुल सात मामले स्पीकर के यहां लंबित हैं। इसमें चार सत्तापक्ष और तीन भाजपा की ओर से आवेदन दाखिल की गई है। इस मामले में 30 अगस्त को सुनवाई खत्म हो गई है। इस दौरान बाबूलाल मरांडी की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि स्पीकर पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहे हैं। न्यायाधिकरण में सुनवाई समाप्त होने के बाद स्पीकर कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं। बाबूलाल मरांडी 2019 में झाविमो के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था। इस मामले में स्पीकर दल-बदल कानून के तहत सुनवाई कर रहे हैं।