
रांची: लंपी स्किन डिजीज (लंपी वायरस) ने झारखंड में दस्तक दी है। अब तक यह वायरस राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में कहर बरपा रहा था। कई मवेशियों की इस बीमारी से मौत भी हुई। लेकिन अब झारखंड में इस वायरस के दस्तक देने से हड़कंप मचा है। झारखंड के रांची के नगड़ी और देगर के पालाजोरी में वायरस से संक्रमित मवेशी मिले हैं। पशुपालन निदेश शशि प्रकाश झा के अनुसार मामला संज्ञान में आया है। मवेशियों का सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भोपाल भेजा जाएगा। इससे बचाव के लिए निर्देशक जारी किए गए हैं। इधर, मामले को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने निर्देश जारी किया है। लंपी वायरस की रोकथाम के लिए सारे उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
टोल फ्री नंबर होगा जारी
पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा ने डीएचओ को निर्देश दिया है कि संदिग्ध मवेशी मिले को बचाव के उपाय किए जाए। वायरस के दस्तक को देखते हुए बाहर के मवेशियों के आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। आज बैठक कर पशुपालकों की मदद के लिए विभाग ट्रोल फी नंबर जारी करेगा। विभाग इस वायरस से बचाव के लिए आगे की रणनीति तैयार कर रहा है। इधर, लंपी वायरस के झारखंड में दस्तक मात्र से पशुपालकों में हड़कंप मचा है।
कैसे फेलती है लंपी वायरस
लंपी वायरस एलएसडी गांठदार त्वचा रोग है। ये बीमारी गाय और भैंस को होती है। यह बीमारी मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों से मवेशियों में फैलती है। वायरस से संक्रमित होने के दो-तीन दिनों के भीतर मवेशियों को हल्का बुखार आता है। शरीर पर गांठदार दाने निकल आते हैं। कुछ गांठ घाव में बदल जाते हैं। संक्रमित होने के बाद मवेशियों की नाक से खून बहता है। मुंह से लार भी आता है और दुधारु मवेशियों का दूध भी कम हो जाता है। इस बीमारी के कारण गर्भवती मवेशियों का मिस कैरेज हो सकता है।
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