वास्तु के कुछ नियमों का ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भवन में रहने वाले सभी लोग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रह सकते हैं। जिस घर में वास्तु दोष होता है, वहां रहने वाले लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सेहत से जुड़ी परेशानियां भी इनमें से एक है।
उज्जैन. कई बार ऐसा होता है कि किसी नए घर में जाते ही लगातार सेहत से जुड़ी समस्याएं सामने आने लगती हैं और हर तरह का ईलाज करवाने के बाद भी परेशानी दूर नही होती। तो इसका कारण वास्तु दोष (Vastu) भी हो सकता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए कुछ बातों का जानना बहुत जरूरी है। आज हम आपको वास्तु से जुड़े कुछ ऐसे ही टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
1. रसोई घर में भोजन बनाते समय यदि महिलाओं का मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी के रोग हो सकते हैं। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन पकाने से पैरों में दर्द की संभावना भी बनती है। इसी तरह पश्चिम की ओर मुख करके खाना पकने से आँख, नाक, कान एवं गले की समस्याएं हो सकती हैं। पूर्व दिशा की ओर चेहरा करके रसोई में भोजन बनाना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
2. वास्तुशास्त्र में पूर्व तथा उत्तर दिशा का हल्का और नीचा होना तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा का भारी व ऊंचा होना अच्छा माना गया है। यदि पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है। उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हो तो भी ऐसी स्थिति उत्त्पन्न होती है।
3. गृहस्वामी अग्निकोण या वायव्य कोण में सोए या उत्तर में सिर व दक्षिण में पैर करके सोए तब भी अनिद्रा या बेचैनी, सिरदर्द और चक्कर जैसी परेशानी हो सकती है, जिसके कारण दिन भर थकान की समस्या हो सकती है। धन आगमन और स्वास्थ्य की दृष्टि से दक्षिण या पूर्व की ओर पैर करना अच्छा माना गया है।
4. दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार या हल्की चाहरदीवारी अथवा खाली जगह होना शुभ नहीं है। ऐसा होने से हार्ट अटैक, लकवा हड्डी एवं स्नायु रोग संभव हैं। अतः यहां प्रवेश द्वार या खाली जगह छोड़ने से बचना चाहिए।
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