Maa Katyayani Pujan Vidhi 2022: 7 अप्रैल को करें देवी कात्यायनी की पूजा, ये है विधि, शुभ मुहूर्त और आरती

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) हिंदू पंचांग की पहली नवरात्रि होती है। इसके बाद 3 और नवरात्रियां मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि भी कहते हैं। चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 7 अप्रैल, गुरुवार को है।
 

उज्जैन. मान्यता है कि, देवी कात्यायनी की पूजा से रोग, शोक, संताप और डर आदि नष्ट हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इनका नाम कात्यायनी हुआ। मां के स्वरूप की बात करें तो इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। आगे जानिए देवी कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, उपाय और आरती…

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7 अप्रैल, गुरुवार के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 6 से 7.30 तक- शुभ
सुबह 10.30 से दोपहर 12 तक- चर
दोपहर 12 से 01:30 तक- लाभ
दोपहर 01:30 से 03.00 तक- अमृत
शाम 4.30 से 6 बजे तक- शुभ

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इस विधि से करें देवी कात्यायनी की पूजा 
7 अप्रैल, गुरुवार की सुबह जल्दी उठें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद देवी देवी कात्यायनी की तस्वीर या प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें और श्रृंगार आदि करें। देवी कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है, इसलिए इन्हें लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं, धूप जलाएं और फल व मेवों का भोग लगाएं। देवी कात्यायनी मां का ध्यान करते हुए आरती करें।

ध्यान मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।

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7 अप्रैल को ये उपाय करें
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है। शहद से बना पान भी मां को प्रिय है इसलिए इनकी पूजा में भी विशेष रूप से चढ़ाया जा सकता है।

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देवी कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृह्स्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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ये है देवी कात्यायनी की कथा
देवी भागवत के अनुसार प्राचीन समय में कात्यायन नाम के एक ऋषि थे। उन्होंने देवी को प्रसन्न करने के लिए हजारों सालों तक घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी प्रकट हुई और वरदान मांगने को कहा। ऋषि कात्यायन ने उनसे कहा कि वे पुत्री के रूप उनके यहां जन्म लें। देवी ने उन्हें वरदान दे दिया और समय आने पर कात्यायनी के रूप में जन्म लिया।

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