जन्म कुंडली में कब बनता है ग्रहण योग? जानिए इसके शुभ-अशुभ प्रभाव और उपाय

जन्म कुंडली में जब एक ही भाव में दो ग्रह साथ में हो तो शुभ-अशुभ योग बनता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव व जीवन काल पर पड़ता है। जब राहु और सूर्य एक ही भाव में होते हैं तब ग्रहण योग बनता है ।

Asianet News Hindi | Published : Dec 30, 2020 4:04 AM IST

उज्जैन. आज हम आपको ग्रहण योग के बारे में बता रहे हैं। जब राहु और सूर्य एक ही भाव में होते हैं तब ये अशुभ योग बनता है। जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में ये योग होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जानिए इस योग से जुड़ी खास बातें…

1. जिस व्यक्ति की कुंडली मे ग्रहण योग होता है उसे गुस्सा बहुत अधिक आता है।
2. पिता के साथ उसका मतभेद रहता है साथ ही पिता की सेहत और काम पर भी उसका बुरा असर होता है।
3. ग्रहण योग के कारण व्यक्ति को बार-बार सेहत से संबंधित परेशानियां होती हैं और मान-सम्मान में कमी आती है।
4. कोर्ट केस में समय और पैसा बर्बाद होता है। सरकारी कामों में बाधाएं आती हैं।
5. सूर्य, राहु की अंशात्मक रूप से लग्न कुंडली और नवांश में बनने वाली युति जिस भाव में बनती है, उस भाव से सम्बंधित फलों का नाश करती है।
6. यह योग यदि नौवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त कर सकता है।

अशुभ फल से बचने के लिए करें ये उपाय
 

1. रोज सुबह सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें।
2. सूर्य और राहु से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
3. नीले रंग के कपड़ने पहनने से बचें।
4. ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। इस समय सिर्फ अपने ईष्टदेव का ध्यान करें।
5. सूर्य और राहु से संबंधित चीजों का दान करें।
 

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