Mauni Amavasya 2022: मौनी अमावस्या पर मकर राशि में बन रहा है चतुर्ग्रही योग, जानिए क्यों खास ये तिथि?

भारतीय पंचांग के अनुसार, माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) के नाम से जाना जाता है। तीर्थराज प्रयाग में हर साल लगने वाले माघ मेले में मौनी अमावस्या को लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने पहुंचते हैं।

उज्जैन. अमावस्या तिथि का आरंभ 31 जनवरी, सोमवार को दोपहर 2:20 बजे से होगा और ये तिथि 1 फरवरी, मंगलवार को सुबह 11.16 तक रहेगी। 1 फरवरी को उदया तिथि होने से मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) 1 फरवरी को रहेगी। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि इस दिन गंगा स्नान या पवित्र नदियों/जलाशयों में स्नान करना चाहिए। श्राद्ध एवं पितृ तर्पण के लिए भी इस अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया है। मौनी अमावस्या को पीपल के पेड़ की पूजा करना व परिक्रमा करके धागा लपेटने का भी प्रचलन है। गरीबों को अन्न व वस्त्र दान करें। माना जाता है कि इस दिन स्नान-दान से कई गुना शुभ फल प्राप्त होता है।

बन रहा है चतुर्ग्रही योग
ज्योतिषाचार्य पं. तिवारी के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर मकर राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। वैसे तो जब सूर्य और चंद्रमा का एक साथ संचरण शनि देव की राशि मकर में होता है, तब उस तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष जहाँ सूर्य पुत्र शनि देव स्वगृही होकर मकर राशि मे गोचर कर रहे हैं, वही चंद्रमा भी अपने पुत्र बुध के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करके मकर राशि में गोचर करते हुए इस दिन की शुभता को बढ़ाने वाले हैं। इस तरह मकर राशि में शनि, सूर्य, बुध के साथ-साथ चंद्रमा का योग भी मौनी अमावस्या पर बन रहा है।

मौनी अमावस्या पर क्या करें?
डॉ. तिवारी के अनुसार, इस तिथि पर चुप रहकर अर्थात मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए नदी स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही इसे मौनी अमावस्या कहा गया है। शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन कई गुना फल देता है।

 

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