सार

इस बार 1 फरवरी, मंगलवार को माघ मास की अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। मौनी अमावस्या पर ग्रह दोष, पितृ दोष और कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) आदि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिसकी कुंडली में कालसर्प नाम का अशुभ योग बनता है उसे अपने जीवन में आर्थिक, शारीरिक और पारिवारिक दृष्टि से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कालसर्प दोष की शांति के प्रमुख स्थान नासिक में त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिग और मध्यप्रदेश में उज्जैन माने जाते हैं। लेकिन इनके अलावा और भी कई विशेष स्थान है, जहां कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा की जा सकती है। आगे जानिए इन स्थानों के बारे में…

श्रीलूत कालहस्तीश्वर (srilut kalahasteeswarar) : दक्षिण भारत में तिरुपति बालाजी से 50 किलोमीटर पर कालहस्ती शिव मंदिर है। यहां शिव के एकादश रुद्रावतारों में से स्वयंभू शिवलिंग है। 

त्रयंबकेश्वर, महाराष्ट्र (Trimbakeshwar, Maharashtra) : त्रयंबकेश्वर में द्वादश ज्योतिर्लिग में से एक स्थापित है। यहां कालसर्प दोष की शांति पूजा होती है। यह प्रमुख स्थान है। यहां नाग नागिन का चांदी का जोड़ा बनवाकर जल में प्रवाहित करने से पितृ दोष की भी शांति होती है। 

प्रयाग संगम (Prayag Sangam) : इलाहाबाद संगम पर कालसर्प, पितृदोष शांति कर्म के लिए नाग-नागिन पूजा कर दूध के साथ जल में प्रवाहित किया जाता है। 

त्रियुगी नारायण मंदिर (Triyugi Narayan Temple) : उत्तरांचल में केदारनाथ से 15 किलोमीटर दूर त्रियुगी नारायण मंदिर है। यहां स्वर्ण, चांदी या तांबे के अष्टनाग जोड़े अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती 

त्रिनागेश्वर (trinageshwar) : दक्षिण भारत में तंजोर जिले में त्रिनागेश्वर वासुकिनाथ मंदिर में राहु काल में अभिषेक करने का विधान है। 

बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) : बद्रीनाथ में कालसर्प और पितृदोष शांति की जाती है। यहां ब्रह्मकपाल नामक स्थान पर शिवजी द्वारा ब्रह्मा का पांचवां मस्तक गिराया गया था। शिवजी ने ब्रह्मकपाल को अपने गले में धारण किया था और इसी स्थान पर ब्रह्ममुंड से मुक्ति पाई थी। यह स्थान ब्रह्म हत्या, ब्रह्म शाप, कालसर्पादि दोषों से मुक्ति का सिद्ध स्थान है। 

उज्जैन (Ujjain) : मध्यप्रदेश में भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन कालसर्प दोष की शांति पूजा का प्रमुख स्थान है। यहां रामघाट पर पूजा होती है। 

ओंकारेश्वर (Omkareshwar): मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिग शिवजी का सिद्ध पीठ है। यह यहां नर्मदा नदी के किनारे पंडित एक हजार पार्थिव शिवलिंग का पूजन अभिषेक करवाकर कालसर्प दोष की शांति करवाते हैं। 

कालसर्प दोष शांति के लिए अन्य स्थान
दक्षिण भारत के नागपट्टनम जिले में एलनगुढ़ी नामक स्थान, उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में नाग लिंगेश्वर शिव मंदिर, दक्षिण भारत के चित्तूर जिले के कानिपाकम ग्राम में वरसिद्धि विनायक मंदिर, उत्तरप्रदेश के इटावा शहर शहर की दक्षिणी पूर्वी सीमा पर नीलकंठ मंदिर, उत्तरप्रदेश में यमुना तट, दक्षिण भारत के नागपट्टनम जिले में वैदहीश्वरम मंदिर, मप्र के नागदा में जन्मेजय मंदिर, दक्षिण भारत में पंचतत्व मंदिर, काचीकामकोटि के निकट पृथ्वीतत्व शिवलिंग, तिरुच्चि के निकट जलतत्व शिवलिंग, चेन्नई से 200 किलोमीटर चिदंबरम स्थान पर आकाशतत्व शिवलिंग पर कालसर्प दोष की शांति करवाई जा सकती है।

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