
उज्जैन. मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। माताजी की दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। इनकी पूजा से रोग, शोक, संताप, भय आदि नष्ट हो जाते हैं।
11 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 6 से 7.30 तक- अमृत
सुबह 9 से 10.30 तक- शुभ
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक- चर
दोपहर 3 से शाम 4.30 तक- लाभ
शाम 4.30 से 6 बजे तक- अमृत
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें और नहाकर लाल रंग के कपड़े पहनें। देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) की तस्वीर को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उनका पूरा श्रृंगार करें। देवी को लाल रंग प्रिय है इसलिए लाल रंग की सामग्री से इनका श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद घी का दीपक जलाएं, धूप जलाएं और सभी प्रकार के फल और मेवों का प्रसाद चढ़ाएं। फूलों की माला हाथ में लेकर कात्यायनी मां का ध्यान और आरती करें।
ध्यान मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
आज का उपाय
मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है। शहद से बना पान भी मां को प्रिय है इसलिए इनकी पूजा में भी चढ़ाया जा सकता है।
देवी कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृह्स्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
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