ज्योतिष में पंच महापुरुष योग का वर्णन मिलता है। ये पंच महापुरुष योग हैं हंस, मालव्य, भद्र, शश और रूचक योग। ये सभी राज योगों की श्रेणी में आते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में पंच महापुरुष में से एक भी योग होता है वे अपने जीवन में शीर्ष तक पहुंचते हैं।
उज्जैन. इन पंच महापुरुष योग में भी रूचक योग सर्वाधिक चर्चित योग है क्योंकि इसमें जो व्यक्ति जन्म लेता है वह अपने साहस, बल, पराक्रम, निर्णय क्षमता और शारीरिक मजबूती के बल पर दुनिया में चर्चित होता है।
ज्योतिष के अनुसार मंगल यदि किसी कुंडली में लग्न से अथवा चंद्र से केंद्र के घरों में स्थित हो, यानी मंगल यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें स्थान में मेष, वृश्चिक या मकर राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में रूचक योग का निर्माण होता है। यह योग यदि किसी स्त्री की कुंडली में हो तो उसमें भी पुरुषों जैसे गुण पाए जाते हैं और वह पुरुषों की प्रधानता वाले क्षेत्रों जैसे कुश्ती आदि में प्रसिद्धि प्राप्त करती है।
रूचक योग के निर्माण में मंगल का शुभ होना जरूरी है। रूचक योग एक अति शुभ तथा दुर्लभ योग है तथा इसके द्वारा मिलने वाले शुभ फल इस योग वाले प्रत्येक व्यक्ति में एक समान दिखाई नहीं देते। कुंडली में यदि मंगल अशुभ है तो रूचक योग के कारण गंभीर परिणाम भी भुगतना पड़ सकते हैं। कुंडली के जिन चार घरों में शुभ मंगल के किसी राशि विशेष में स्थित होने से रूचक योग बनता है, उनमें से तीन घरों 1, 4 तथा 7 में अशुभ मंगल के स्थित होने से मांगलिक दोष भी बनता है, जो अपनी स्थिति के आधार पर व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के अशुभ फल दे सकता है। इस प्रकार किसी कुंडली में रूचक योग बनने अथवा मांगलिक दोष बनने के बीच का अंतर मुख्यतया कुंडली में मंगल का शुभ अथवा अशुभ होना ही होता है।
1. जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुभ मंगल के कारण रूचक योग बन रहा हो उनमें कुछ विशेष लक्षण जन्म से पाए जाते हैं जैसे ये लोग जन्म से ही साहसी होते हैं। उन्हें किसी भी चीज से डर नहीं लगता।
2. जन्म से वे परिजनों, मित्रों के बीच लोकप्रिय और चर्चित होने लगते हैं। शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ, ऊंची कद-काठी और श्याम वर्ण के होते हैं।
3. ऐसे लोगों का रूझान बचपन से किसी खेल के प्रति रहता है। वे एक बार जो ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं।
1. जन्म कुंडली में यदि मंगल खराब स्थिति में है और फिर भी रूचक योग बन रहा है तो बालक बचपन से मानसिक रूप से अस्थिर होता है।
2. दुबले-पतले शरीर वाला, बात-बात में डर जाने वाला होता है। ऐसा लोग हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहता है।
3. कोई भी निर्णय लेने में उसे लंबा वक्त लगता है। बार-बार बीमार पड़ता है। ऐसा व्यक्ति स्पोर्ट्स के प्रति उदासीन होता है। पढ़ाई लिखाई में भी औसत रहता है।
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