सार
ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के शुभ योगों के बारे में बताया गया है जैसे, अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, त्रिपुष्कर योग आदि। ऐसा ही एक योग है प्रीति।
उज्जैन. प्रीति योग सूर्य और चंद्रमा की दूरी के आधार पर बनता है। जैसा कि इसका नाम है प्रीति योग इसका अर्थ यह है कि यह योग परस्पर प्रेम का विस्तार करता है। प्रीति योग के स्वामी विष्णु हैं। प्रीति योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति जिन्दादिल, सौन्दर्य प्रेमी होने के साथ ही चालाक और स्वार्थ सिद्ध करने वाले भी होते हैं। आगे जानिए प्रीति योग में आप कौन-से काम कर सकते हैं…
1. प्रीति योग में किया गया विवाह जीवन को सुखमय बनाता है। इसीलिए इसे मंगल दायक योग भी कहते हैं।
2. मेल-मिलाप बढ़ाने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करने से सफलता मिलती है।
3. झगड़े निपटाने या समझौता करने के लिए भी यह योग शुभ होता है। इस योग में किए गए कार्य से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
4. प्रेम प्रस्ताव के लिए भी ये योग विशेष होता है। इस योग में किए गए प्रणय निवेदन में सफलता मिलने के चांस अधिक होते हैं।
5. पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा हो तो इस योग में उसे खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। इससे सफलता मिल सकती है।
6. विवाह हेतु लड़की देखने के लिए भी ये योग उत्तम है। संभव हो तो लड़की वालों को भी इस योग में लड़के वालों को घर में आमंत्रित करना चाहिए।
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