जन्म कुंडली में इन 5 स्थानों पर मंगल होने से ही क्यों बनता है मांगलिक दोष?

हिंदू परिवारों में विवाह से पूर्व लड़का-लड़की की जन्मकुंडली और गुणों का मिलान किया जाता है। इनमें सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है मांगलिक दोष को। लड़का या लड़की किसी एक की कुंडली में भी मांगलिक दोष होता है तो उनका विवाह नहीं किया जाता है या अत्यंत आवश्यक ही हो तो मंगल दोष का परिहार या पूजा करके विवाह किया जाता है।

उज्जैन. हिंदू परिवारों में विवाह से पूर्व लड़का-लड़की की जन्मकुंडली और गुणों का मिलान किया जाता है। इनमें सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है मांगलिक दोष को। लड़का या लड़की किसी एक की कुंडली में भी मांगलिक दोष होता है तो उनका विवाह नहीं किया जाता है या अत्यंत आवश्यक ही हो तो मंगल दोष का परिहार या पूजा करके विवाह किया जाता है। आगे जानिए मंगल दोष से जुड़ी खास बातें…

इन 5 भाव में बनता है मंगल दोष
- कुंडली में मंगल दोष तब बनता है जब कुंडली के 12वें, पहले, चौथे, सातवें या आठवें स्थान में से किसी एक में मंगल बैठा हो। कभी आपने सोचा है कि इन पांचों स्थान में से किसी एक में मंगल होने पर ही मंगल दोष क्यों बनता है।
- सबसे पहली बात तो यह कि मंगल से ही दोष क्यों बनता है? इसका जवाब यह है कि मंगल को उग्रता, क्रोध, आवेश, शौर्य, शक्ति, शरीर में रक्त, सौभाग्य का कारक ग्रह कहा जाता है।
- यदि मंगल दूषित होगा तो व्यक्ति इन सभी से जुड़ी पीड़ाओं का भोग करता है। यदि लड़के या लड़की किसी एक की कुंडली में मंगल उग्र है तो वह सीधे- सीधे दूसरे को दबाने का प्रयास करेगा।
- ऐसी स्थिति में विवाह के सुखी होने में संदेह रहता है। मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व भी करता है, इसलिए यदि दोष किसी एक की कुंडली में है तो वह दूसरे लोगों के लिए घातक बन सकता है। इससे सौभाग्य में कमी आ सकती है।

Latest Videos

पांच स्थान ही क्यों?
व्यये लग्ने च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजे।
कन्या भर्तुविनाशाय भर्ता कन्या विनाशक:।।

1, 4, 7, 8, 12 इन पांचों स्थानों में से किसी एक में मंगल होने पर मांगलिक दोष बनता है। जन्मकुंडली में सप्तम स्थान जीवनसाथी और विवाह सुख का स्थान होता है। उपरोक्त पांचों स्थानों का संबंध किसी न किसी तरह सप्तम होता है। इसलिए इन पांचों स्थानों को ही मंगल दोष में शामिल किया गया है। लग्न में मंगल हो तो उसी सीधी दृष्टि सप्तम पर होती है।

1. चतुर्थ में मंगल हो तो उसकी चौथी दृष्टि सप्तम पर होती है।
2. सप्तम में स्वयं मंगल है तो उस घर को तो वो प्रभावित करेगा ही।
3. अष्टम में मंगल हो तो उसकी 12वीं दृष्टि सप्तम पर होती है।
4. द्वादश में मंगल हो तो उसकी अष्टम दृष्टि मंगल पर होती है।
5. इस प्रकार सप्तम पर मंगल की 4, 8, 12वीं दृष्टि संबंध शुभ नहीं होता।


इसलिए उपरोक्त पांचों स्थानों में मंगल होने पर मंगल दोष होता है। ऐसी स्थिति में युवक-युवती दोनों की कुंडली में मंगल दोष होने पर ही विवाह हो सकता है, अन्यथा नहीं।

कुंडली के योगों के बारे में ये भी पढ़ें

मृत्यु के बाद क्या होगी आत्मा की गति, जान सकते हैं जन्म कुंडली के इन योगों से

जिसकी कुंडली में होता है इन 5 में से कोई भी 1 योग, उसे भुगतने पड़ते हैं अशुभ परिणाम

किस उम्र में हो सकती है आपकी शादी, जान सकते हैं जन्म कुंडली के इन योगों से

जन्म कुंडली में अलग-अलग ग्रहों के साथ मिलकर शनि बनाता है ये 8 शुभ और अशुभ योग, जानें इनका आप पर असर

धन, सुख, वैभव और भौतिक सुख का निधार्रण करता है होरा लग्न, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

Share this article
click me!

Latest Videos

कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?
पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
Dehradun Car Accident: 13 दिन ली गई कार बनी 6 दोस्तों के लिए 'काल', सामने आया सबसे बड़ा सवाल
Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
'कांग्रेस को हिंदू भावनाओं की चिंता नहीं' क्या CM Yogi के इन सवालों का मिलेगा जवाब #Shorts