
अगर आप कभी गांव गए होंगे तो आपने जरूर देखा होगा कि गांव के लोगों को बिना फ्रिज के खाने को सुरक्षित रखते हैं। गांव में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें ठंडक रहती है। इस कारण से खाना लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। इसके साथ ही खाने को सुरक्षित रखने के लिए देश-दुनिया के विभिन्न स्थानों में कई तरीके लंबे समय से अपने जाते रहे हैं। आईए जानते हैं कि पहले के समय में आखिर लोग खाने को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए क्या तरीके अपनाते थे।
अफ्रीका के साथ मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में लंबे समय से जीर पॉट्स का इस्तेमाल खाने को संरक्षित करने के लिए किया जाता रहा है। जीर पॉट्स मिट्टी के बर्तनों से बना होता है। इसमें मिट्टी के बर्तन के अंदर एक और मिट्टी का बर्तन रखते हैं और खाली स्थान में गीली रेत भर देते हैं। इसको ऊपर से गीले कपड़े से ढक देते हैं। जैसे ही पानी वाष्पित होता है, यह गर्मी को दूर खींचता है और मिट्टी के बर्तन में रखी सामग्री ठंडी रहती है। ऐसे बर्तनों में सब्जियों के साथ ही दूध या पके हुए व्यंजनों को 1 से 2 दिन तक संरक्षित किया जा सकता है। राजस्थान में आज भी इस तरीके का इस्तेमाल होता है।
देश के विभिन्न हिस्सों में खाने को संरक्षित करने के लिए या फिर लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए धूप की मदद से सुखाया जाता रहा है। ऐसा करने से लंबे समय तक खाने को संरक्षित किया जाता है। तेज धूप में खाने को रखने से उसके अंदर की नमी सूख जाती है जिसके कारण खाने में फंगस नहीं लगता है और खाना महीनों तक टिका रहता है।
दूध या फिर दही को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। मिट्टी के बर्तन ऊष्मा रोधी होते हैं। इनमें ठंडक को बनाए रखने के लिए उनके ऊपर गीला बोरा लगा दिया जाता है। इसके बाद जो भी सामग्री मिट्टी के बर्तन में रखी जाती है, वह लंबे समय तक खराब नहीं रहती है। इसका इस्तेमाल किसी भी घर में आसानी से किया जा सकता है।
आलू, प्याज अनाज जैसी चीजों को कुछ लोग भूमिगत तहखानों में भी रखते हैं। ऐसा करने से भी वह लंबे समय तक खराब नहीं होते हैं। कश्मीर या नेपाल जैसे ठंडे इलाकों में जड़ वाली सब्जियों को भूमिगत तहखाने में रखा जाता है।
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