
Chhath Puja Gagar Nimbu Significance: छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला महापर्व है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है। व्रती (उपवास करने वाले) इस दिन न केवल कड़े नियमों का पालन करते हैं बल्कि छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले पूजा सामग्री के शुद्धता और पवित्रता का भी विशेष ध्यान रखते हैं। इनमें से एक प्रमुख वस्तु है “गागर और नींबू”, जो छठ पूजा की हर दउरा और सूप में रखी जाती है। बहुत से लोगों को ये नहीं पता कि पूजा में इसका क्या महत्व है, इसलिए आज हम आपके साथ इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।
पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक- गागर नींबू को छठ पूजा में एक अनिवार्य फल माना जाता है, जो छठी मैया को शुद्धता और समृद्धि अर्पण करने का प्रतीक है।
पूजा की पूर्णता- इसे दउरा में रखना पूजा की पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
संतोष और स्वास्थ्य- यह माना जाता है कि गागर या डाभ नींबू चढ़ाने से संतान-सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
वहीं, नींबू को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला माना गया है। छठ पूजा में गागर नींबू सूर्य देव को अर्पित किया जाता है ताकि घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का वास न हो। नींबू की शीतल प्रकृति क्रोध, अशांति और मानसिक तनाव को दूर करने का प्रतीक भी मानी जाती है। इसीलिए इसे पूजा स्थल पर रखना शुभ और संतुलन लाने वाला माना जाता है।
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पूजा समाप्त होने के बाद बहुत से लोग यह नहीं जानते कि गागर नींबू का क्या करना चाहिए। इसे साधारण वस्तु की तरह फेंकना अशुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गागर नींबू सूर्य देव का आशीर्वाद लिए होते हैं। इसलिए पूजा के बाद परिवार और लोगों में काटकर वितरण किया जाता है। आप इसे काटकर नमक और मिर्च मिलाकर खा सकते हैं। या फिर इसमें चटपटे मसाले, नमक, मिर्च और धनिया डालकर चाट की तरह भी खा सकते हैं।
गागर नींबू नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और वातावरण को शुद्ध रखने का संकेत देता है। ऐसे में इसे पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक के प्रतीक के रूप में अर्पित किया जाता है।
पूजा के बाद गागर नींबू को प्रसाद की तरह वितरण करें, आप इसे सलाद की तरह मसाले डालकर भी खा सकते हैं।
हां, इसे फेंकना अनुचित माना जाता है क्योंकि यह सूर्य देव की पूजा का अहम सामग्री होता है और इसे फेंकना या बर्बाद करना भगवान के प्रसाद के अपमान करने जैसा है।
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