
भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस, मोटापा, हार्मोनल इंबैलेंस और सांस से जुड़ी दिक्कतें आम हो गई हैं। दवाइयों पर निर्भर रहने के बजाय अगर हम योग और प्राणायाम को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लें तो शरीर और मन दोनों को नैचुरल तरीके से हेल्दी रखा जा सकता है। प्राणायाम में सबसे ज्यादा अनुलोम विलोम और कपालभाती चर्चा में रहते हैं। दोनों देखने में भले ही एक जैसे लगें, लेकिन इनके फायदे और असर पूरी तरह अलग हैं। आखिर अनुलोम विलोम और कपालभाती में से कौनसा बेस्ट है? इन्हें करने का सही तरीका क्या है और किन हेल्थ इश्यूज में कौनसा ज्यादा असरदार है?
अनुलोम विलोम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है। इसमें बारी-बारी से एक नाक से सांस लेना और दूसरी से छोड़ना शामिल होता है। इसे करने के लिए सबसे पहले आरामदायक मुद्रा में बैठें। दाहिने हाथ से नाक को पकड़ें और अंगूठे से दाईं नासिका बंद करें। फिर बाईं नासिका से सांस अंदर लें। अब अनामिका से बाईं नासिका बंद कर दाईं से सांस बाहर छोड़ें। इसी तरह बारी-बारी से प्रक्रिया दोहराएं।
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कपालभाती को योग की शुद्धिकरण क्रिया कहा जाता है। इसमें सांस छोड़ने (exhalation) पर ज्यादा जोर होता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सीधी रीढ़ के साथ आराम से बैठें। फिर गहरी सांस अंदर लें और नाभि की ओर खींचते हुए तेजी से सांस बाहर छोड़ें। फिर सांस छोड़ते वक्त पेट को अंदर की ओर धकेलें। यह क्रिया लगातार 20–30 बार करें, फिर सामान्य सांस लें।
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अगर आप तनाव, नींद की दिक्कत या हार्मोनल असंतुलन से जूझ रहे हैं तो अनुलोम विलोम आपके लिए बेहतर है। लेकिन अगर आप वजन घटाना, पेट की समस्या या डायबिटीज कंट्रोल करना चाहते हैं तो कपालभाती ज्यादा असरदार है। दोनों को मिलाकर करना सबसे लाभकारी है आप पहले कपालभाती (5–10 मिनट) और फिर अनुलोम विलोम (10–15 मिनट) करें। अनुलोम विलोम मन और नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जबकि कपालभाती शरीर को डिटॉक्स और एनर्जी से भर देता है। दोनों प्राणायाम एक-दूसरे को कंप्लीमेंट करते हैं।