
ब्लड कैंसर, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही डर लगने लगता है। लेकिन सच ये है कि अगर इसके शुरुआती लक्षण पहचान लिए जाएं, तो इसे समय रहते कंट्रोल करना और इलाज करना संभव है। अक्सर लोग इसके संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं और जब तक पता चलता है, तब तक बीमारी आखिरी स्टेज में पहुंच चुकी होती है। आइए जानते हैं कि ब्लड कैंसर (Blood Cancer) की आखिरी स्टेज में शरीर के अंदर क्या होता है और इसे पहचानने के शुरुआती लक्षण कौन से हैं।
ब्लड कैंसर तब होता है जब हड्डियों की मज्जा (bone marrow) में बनने वाले ब्लड सेल्स (white blood cells, red blood cells और platelets) अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं। ये असामान्य सेल्स सामान्य ब्लड सेल्स को रिप्लेस कर देते हैं, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और ऑक्सीजन सप्लाई में गड़बड़ी आने लगती है। ब्लड कैंसर तीन टाइप का होता है।
और पढ़ें - इस सफेद चीज को जी भर खाती हैं 54 की तब्बू, फिर भी हैं लेडी सिंघम सी Fit
ब्लड कैंसर की आखिरी स्टेज यानी Stage 4, में कैंसर सेल्स शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुके होते हैं जैसे लिवर, स्प्लीन, बोन, लिम्फ नोड्स और कभी-कभी ब्रेन तक। इस स्थिति में सामान्य ब्लड सेल्स का काम पूरी तरह बाधित हो जाता है।
इम्यून सिस्टम का टूटना: इस कंडीशन में शरीर छोटी-छोटी इंफेक्शन तक से लड़ नहीं पाता। बार-बार बुखार, ठंड लगना और इंफेक्शन होना आम बात बन जाती है।
एनीमिया और थकावट: रेड ब्लड सेल्स कम होने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है। रोगी हमेशा थका हुआ महसूस करता है, सांस फूलती है, और शरीर पीला पड़ने लगता है।
ब्लीडिंग और ब्रूजिंग: प्लेटलेट्स घटने के कारण मामूली चोट पर भी खून बहना बंद नहीं होता। मसूड़ों से, नाक से खून आना या स्किन पर नीले निशान बनना आम संकेत हैं।
हड्डियों और जोड़ों में दर्द: बोन मैरो में कैंसर सेल्स के बढ़ने से हड्डियों में तेज दर्द या सूजन होती है। यहां तक कि चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।
वजन घटना और भूख कम होना: शरीर की एनर्जी लगातार सेल्स के खिलाफ लड़ने में लगती है, जिससे वजन तेजी से घटता है।
और पढ़ें - BP लो हो जाए तो तुरंत करें ये 7 काम, बच सकती है आपकी जान
अगर ये लक्षण 2-3 हफ्ते से ज़्यादा समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टर इसके लिए कई तरह के टेस्ट और डायग्नोसिस करते हैं। जैसे CBC (Complete Blood Count) टेस्ट यानि खून में WBC, RBC और Platelets की मात्रा चेक की जाती है। दूसरा Bone Marrow Biopsy यह बताता है कि कैंसर सेल्स कितने बढ़ चुके हैं। तीसरा Flow Cytometry / Genetic Tests से कैंसर के टाइप और उसके फैलाव का पता लगाया जाता है।