चेन्नई में महिलाएं हो रही ब्रेस्ट कैंसर की शिकार, 7 सालों में दोगुना हुआ Breast Cancer Case

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला कॉमन कैंसर हैं। इसकी वजह से हर साल दुनिया भर में लाखों महिलाएं मौत की शिकार हो जाती हैं। भारत के आंकड़े काफी भयावह हैं। चेन्नई में पिछले सात सालों में ब्रेस्ट कैंसर के केस दोगुने हो गए हैं।

हेल्थ डेस्क. कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसकी चपेट में आम से लेकर खास लोग भी आ जाते हैं। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाली एक कॉमन कैंसर है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर की वजह से 6.85 लाख महिलाओं की मौत हो गई। भारत में हर साल 75,000 से ज्यादा महिलाएं इसकी चपेट में आ जाती हैं। चेन्नई की तस्वीर काफी डरावनी है। पिछले सात साल में यहां ब्रेस्ट कैंसर के केस दोगुना हो गया है।

अडयार कैंसर संस्थान और राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर इस रिपोर्ट को तैयार की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई में महिलाओं में स्तन कैंसर की घटना 7 सालों में करीब दोगुनी हो गई है।2016-2018 के लिए तमिलनाडु कैंसर रजिस्ट्री रिपोर्ट से पता चला है कि चेन्नई में महिलाओं के बीच ब्रेस्ट कैंसर की की घटना दर (CIR)एक लाख आबादी के लिए 52 थी। यानी एक लाख महिला में से 52 महिला इसकी शिकार थी। जबकि 2006-2011 में यह दर 27.5 थी।

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शहरी क्षेत्रों में कैंसर के बढ़े मामले 

अड्यार कैंसर संस्थान के डॉ पी संपत ने टीएनआईई से बातचीत में बताया कि 2016-18 में चेन्नई की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और स्त्री रोग संबंधी कैंसर के लिए सीआईआर 83.4 था, जबकि अन्य सभी कैंसर के लिए सीआईआर 69.6 था। कैंसर रजिस्ट्री डेटा से पता चला है कि साल 2006-2011 में सर्विक्स सीआईआर (Crude Incidence Rate) 14.3 था,ओवरी कैंसर सीआईआर 6.1 था और कॉर्पस ओवरी (एंडोमेट्रियल कैंसर) सीआईआर 3.1 था। 2016-2018 के आंकड़ों से पता चला है कि ओवरी सर्विक्स ग्रीवा 11.5 पर आ गया है, लेकिन कॉर्पस यूटेरी सीआईआर बढ़कर 7.5 और ओवरी सीआईआर 9.6 हो गया है। डॉक्टर संपत ने कहा कि मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे जगहों में शहरी क्षेत्रों में ब्रेस्ट कैंसर बढ़ रहा है।

कैंसर को लेकर जागरुकता बढ़ाने की जरूरत 

उन्होंने कहा कि महिलाओं में कैंसर के जोखिम से जुड़े कारकों को पहचान करने के लिए विशेष स्टडी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग कैंप और जागरूकता अभियान भी बढ़ाए जाने चाहिए।

अड्यार कैंसर संस्थान के सहायक निदेशक डॉ आर स्वामीनाथने बताया कि शहरी क्षेत्रों में ब्रेस्ट कैंसर के केसेज बढ़ रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि ज्यादातर महिलाएं पहले और दूसरे स्टेज में इलाज के लिए आती हैं। इसे देखा जाए तो जागरूकता बढ़ी है। फिर भी इसे और आगे ले जाने की जरूरत है। 30 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं की नियमित जांच के लिए जाना चाहिए।

महिलाओं को 30 के बाद रेगुलर जांच करानी चाहिए

कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को जागरूक होना पड़ेगा। कैंसर के कारण खराब लाइफस्टाइल, मोटापा, डायबिटीज और फैमिली हिस्ट्री इसके कारण होते हैं। इसलिए महिलाओं को मोटापा से बचना चाहिए। पीरियड्स खत्म होने के बाद नियमित रूप से अपने स्तन की जांच करानी चाहिए। मेडिकल जांच की आदत 30 के बाद से ही शुरू हो जाना चाहिए।

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