इस बीमारी से पीड़ित हैं सत्येंद्र जैन, 35 किलो वजन हुआ कम, जानें कारण-लक्षण और ट्रीटमेंट

आप नेता (AAP leader) सत्येंद्र जैन को हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्तों की अंतरिम जमानत दे दी है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व मंत्री को स्वास्थ्य संबंधित कौन सी बीमारी है आइए जानते हैं।

हेल्थ डेस्क.दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन (satyendra jain) मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्हें छह हफ्तों की अंतरिम जमानत दी गई है।उनको यह जमानत स्वास्थ्य आधार पर गिरती हुई सेहत में सुधार के लिए दिया गया है। वैसे तो आप नेता (AAP leader) कई तरह के बीमारियों के शिकार हैं। जिसकी वजह से उनका वजन करीब 35 किलो कम भी हो गया है। लेकिन अभी वो स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से परेशान है। गुरुवार (25 मई) को वह जेल के वाशरूम में चक्कर खाकर गिर पड़े थे जिसके बाद उनको एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी में पहले भी चोट लग चुकी हैं। आइए जानते हैं स्पाइनल कॉर्ड इंजरी क्या है।

स्पाइल कॉर्ड इंजरी क्या है?

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रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड नसों का समूह होता है। जो दिमाग का संदेश शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंचाता है। ऐसे में यदि स्पाइनल कॉर्ड में किसी भी प्रकार की चोट लग जाए या फिर किसी भी कारण से स्पाइनल कॉर्ड में कोई दिक्कत आ जाए तो इसे बेहद घातक अवस्था मानी जाती है। शरीर के अंग काम करना बंद कर सकते हैं।

इलाज को लेकर शोध जारी

यदि आपने अपनी रीढ़ की हड्डी को घायल किया है, तो ऐसा लग सकता है कि आपके जीवन का हर पहलू प्रभावित हुआ है। आप मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से अपनी चोट के प्रभाव को महसूस कर सकते हैं। रीढ़ की हड्डी की चोटों को अभी तक पूरी तरह ठीक करने का कोई इलाज नहीं बना है। लेकिन दुनिया भर में इसे लेकर शोध जारी है।

रीढ़ की हड्डी की चोट काफी गंभीर होती है

रीढ़ की हड्डी की चोट के बाद अपने अंगों को नियंत्रित करने की आपकी क्षमता दो कारकों पर निर्भर करती है।आपकी रीढ़ की हड्डी पर चोट कहां लगी और चोट की गंभीरता।यदि सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन के आसपास चोट लगी है, तो पैरों और हाथों को हिलाने-डुलाने में अधिक दिक्कत आती है। इस अवस्था को टेट्राप्लेजिया कहा जाता है।वहीं यदि स्पाइनल कॉर्ड के निचले हिस्से में चोट लगी है, तो ऐसे पीड़ित व्यक्ति को लकवा यानी पैरालिसिस

हो सकता है। इस स्थिति में शरीर का निचला हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इसे मेडिकल भाषा में पैराप्लेजिया कहते हैं।

रीढ़ की हड्डी की चोटें कई लक्षणों को दिखा सकता है-

मूमेंट का नुकसान

गर्मी, ठंड और स्पर्श को महसूस करने की क्षमता का प्रभावित होना, उसे महसूस नहीं कर पाना

आंत्र या मूत्राशय पर कंट्रोल खोना

शरीर में ऐंठन का होना

यौन कार्य, यौन संवेदनशीलता और प्रजनन क्षमता में परिवर्तन

आपकी रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका तंतुओं के डैमेज(damage to the nerve fibers) होने के कारण दर्द और तेज चुभन का एहसास

चोट लगने पर ये इमरजेंसी लक्षण नजर आते हैं

अत्यधिक पीठ दर्द या आपकी गर्दन, सिर या पीठ में दबाव

आपके शरीर के किसी भी हिस्से में कमजोरी या पैरालिसिस

आपके हाथों, उंगलियों, पैरों या पैर की उंगलियों में सुन्नता, झुनझुनी या सनसनी का

चलने फिरने में कठिनाई होना

बैलेंस बनाकर चलने में मुश्किल होना

चोट लगने के बाद सांस लेने में दिक्कत होना

मुड़ी हुई गर्दन या पीठ

डॉक्टर को कब दिखाएं

जब सिर या गर्दन में चोट लगती है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगती है तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराने की जरूरत होती है। गंभीर रीढ़ की हड्डी की चोट हमेशा तुरंत दिखाई नहीं देता है। शरीर का काम बंद कर देना या पैरालिसिस या तो तुरंत हो सकती है या फिर धीरे-धीरे ये हो सकता है।

चोट लगने पर क्या करना चाहिए 

यदि आपको संदेह है कि किसी को पीठ या गर्दन में चोट लगी है तो उसे जख्मी व्यक्ति को हिलाएं नहीं। स्थायी पैरालिसिस या अन्य गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं। मेडिकल इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें।गर्दन के दोनों किनारों पर भारी तौलिये रखें या आपातकालीन देखभाल आने तक उन्हें हिलने से रोकने के लिए सिर और गर्दन को पकड़ कर रखें। सिर या गर्दन को हिलाए बिना ब्लीडिंग को रोकने के लिए बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करें।

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