NTU सिंगापुर के वैज्ञानिकों की स्टडी के अनुसार, डेंगू से ठीक हुए लोगों में दिल की बीमारियों का खतरा कोविड पेशेंट्स से 55% अधिक होता है। डेंगू संक्रमण के बाद लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स, जैसे कि मूवमेंट डिसऑर्डर और इंटरनल ब्लीडिंग का भी खतरा बढ़ जाता है।
हेल्थ डेस्क: कोरोना महामारी के बाद माना जा रहा था कि कोविड पेशेंट्स में दिल की बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ गया है। अब डेंगू को लेकर हैरान करने वाली खबर आई है। NTU सिंगापुर के सांइटिस्ट ने पाया कि डेंगू से जूझ रहे लोगों में हार्ट डिसीज का खतरा कोरोना पेशेंट्स से 55% तक अधिक होता है। डेंगू के मरीज में सेंस, मूवमेंट डिसऑर्डर का खतरा भी बढ़ जाता है। जर्नल ऑफ ट्रेवल मेडिसिंस में डेंगू के लॉन्ग टर्म साइडइफेक्ट्स के बारे में जानकारी दी गई है।
जानलेवा हो सकता है डेंगू संक्रमण
डेंगू का संक्रमण इंफेक्टेड एडीज मच्छर के काटने से होता है। अगर व्यक्ति को एक बार बीमारी को जाए तो चिकुनगुनिया की तरह उसे भविष्य में इम्यूनिटी डेवलप नहीं हो पाती। डेंगू इंफेक्शन होने पर हड्डियों के टूटने का एहसास होता है। साथ ही इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर व्यक्ति का समय पर ट्रीटमेंट न किया जाए तो डेंगू जानलेवा भी साबित हो सकता है।
कोविड और डेंगू पेशेंट की केस स्टडी
NTU सिंगापुर के सांइटिस्ट ने पाया कि डेंगू से ठीक हुए लोगों में कोविड पेशेंट के मुकाबले दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। दिल की धड़कन तेज होना, ब्लड क्लॉटिंग, दिल की गंभीर बीमारी आदि शामिल हैं।
स्टडी के लिए सिंगापुर में जुलाई 2021 से अक्टूबर 2022 तक डेंगू से पीड़ित 11,707 पेशेंट और कोविड के 1,24,8326 लोगों की संक्रमण के 300 दिन बाद तक जांच की गई। जांच में साफ तौर पर ये बात बताई गई कि डेंगू से ठीक हो चुके लोगों में दिल की बीमारी की 55% संभावना बढ़ गई है।
डेंगू और कोविड के साइडइफेक्ट्स
भले ही डेंगू या फिर कोविड इंफेक्शन एक समय बाद ठीक हो जाते हो लेकिन इनके दुष्प्रभाव लंबे समय तक रहते हैं। वायरल इंफेक्शन वाले पेशेंट्स का एक साथ अध्यन बीमारी के लंबे साइडइफेक्ट्स के बारे में बताता है। वायरस इंफेक्शन के बाद भी समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए। ऐसा करके आप भविष्य में गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।
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