
हेल्थ डेस्क: 28 जुलाई 2023 को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाएगा। इस बार की थीम है 'हम इंतजार नहीं कर रहे हैं'। भारत में हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 5 करोड़ के आसपास है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हेपेटाइटिस-बी एचआईवी की बीमारी से 100 गुना ज्यादा संक्रामक है, इसके लगभग 60 प्रतिशत मामले मानसून के दौरान दर्ज किए जाते हैं। क्योंकि इसके पीछे का कारण प्रदूषित जल और इस मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना होता है। आज हम आपको बताएंगे कि हेपेटाइटिस बी और एड्स में क्या अंतर है।
हेपेटाइटिस बी क्या होता है?
हेपेटाइटिस यानी लिवर में सूजन। हेपेटाइटिस के अधिकतर संक्रमित मरीजों को पता ही नहीं होता कि वे इस रोग के पीड़ित हैं। हेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रमण है जो लीवर को प्रभावित करता है। हेपेटाइटिस बी रक्त के माध्यम से, असुरक्षित यौन संबंध के माध्यम से और संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई सुई के माध्यम से फैलता है। हेपेटाइटिस बी को रोकने के लिए एक टीका भी उपलब्ध है। हेपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं। हेपेटाइटिस 5 प्रकार के होते हैं और इसके फैलने के कारण भी अलग-अलग हैं।
हेपेटाइटिस बी के लक्षण क्या होते हैं?
एड्स क्या है?
एड्स का मतबल रुक्वायर्ड इम्युनो डेफिसियेन्सी सिन्ड्रोम है। यह ह्यूमन एचआईवी के कारण होने वाली बीमारी है, जो सीधा प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करती है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, योनि के तरल पदार्थ या स्तन के दूध के संपर्क में आने से फैलता है। वायरस असुरक्षित यौन संपर्क, सीरिंज, गर्भावस्था, प्रसव, या स्तनपान के दौरान मां से बच्चे तक फैल सकता है। एड्स को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के साथ प्रबंधित किया जा सकता है। एड्स का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उचित उपचार से एचआईवी वाले लोग लंबा, स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
एड्स के लक्षणों क्या होते हैं?
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