आजकल के आइटम सांग और अन्य गाने बच्चों के मन पर बुरा असर डाल रहे हैं, जिससे वे समय से पहले बड़े हो रहे हैं। बच्चे इन गानों में दिखाई जाने वाली बातों की नकल करने लगते हैं, जो उनके मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।
हेल्थ डेस्क। बच्चे टीवी पर आइटम सांग और अन्य गाने देखते हैं। इसका असर उनके दिमाग पर हो रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इनके चलते बच्चे वक्त से पहले बड़े हो रहे हैं। मुंबई के बाल मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग काउंसलर रिद्धि दोशी पटेल ने कहा, "मेरे पास एक बच्ची आई थी। वह पहले कुछ डांस रियलिटी शो में ऑडिशन देने गई थी। 7 साल की बच्ची ने अपने शरीर की एक ऐसी छवि बनाना शुरू कर दिया जो हर लड़की के पास होनी चाहिए। वह अपने सीने पर कागज की गेंदें रखती थीं ताकि बढ़े हुए ब्रेस्ट दिखें जो बच्चों में नहीं होते।"
बहुत से माता-पिता को आजकल बच्चों के ऐसे गाने पर डांस करने में कुछ गलत नहीं दिखता जो उनकी उम्र को देखते हुए ठीक नहीं हैं। घर में या पार्टी के दौरान जब ऐसे गाने बजाए जाते हैं तो बच्चे भी उसपर डांस करते हैं। वयस्क इसे नजरअंदाज कर देते हैं। ध्यान नहीं देते कि इसका बच्चों के दिमाग पर क्या असर होगा। हालांकि यह समझने की जरूरत है कि इस तरह के गाने बच्चे के दिमाग को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। वह यह नहीं जान पाते कि उम्र के अनुसार क्या उनके लिए ठीक है और क्या नहीं।
बिना समझे नकल शुरू कर देते हैं बच्चे
डॉक्टर पटेल ने बताया कि कुछ तरह के गाने बच्चों के लिए ठीक नहीं हैं। खासकर अगर उनमें हिंसा, ड्रग्स, सेक्स या ऐसी दूसरी बातें दिखाई गईं हों। बच्चे बिना समझे उन गीतों की नकल शुरू कर सकते हैं। बच्चे ऐसे गीतों के शब्दों के मतलब पूछने लगते हैं। माता-पिता उचित जवाब नहीं दे पाते हैं तो बच्चे अपने दोस्तों या अन्य लोगों से पूछेंगे। उन्हें गलत जानकारी मिल सकती है। यह चिंता का विषय है।
डॉ पटेल ने कहा, “मुझे यह देखकर बहुत बुरा लगता है कि छोटे बच्चे अश्लील हरकतें करते हैं और बड़ों को यह प्यारा लगता है। इसमें कुछ भी प्यारा नहीं है। यह कम उम्र में बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। जिन माता-पिता की इच्छा स्टेज पर प्रदर्शन करने की होती है और ऐसा नहीं कर पाते वे अपने बच्चों के माध्यम से अपने सपनों को जीने की कोशिश करते हैं। बिना यह समझे या सोचे कि यह उनकी उम्र के हिसाब से सही है या नहीं।”
गलत गीतों से प्रभावित होता है बच्चों का नैतिक विकास
बाल मनोवैज्ञानिक रीना चोपड़ा ने बताया कि बच्चे बहुत जल्द प्रभावित होते हैं। गलत तरह के गीतों को सुनने और देखने से उनमें ऐसे व्यवहार को बढ़ावा मिलता है जो जिसे संभालने के लिए वे भावनात्मक रूप से तैयार नहीं हैं। वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर करने की उनकी क्षमता पर असर पड़ता है। उनका नैतिक विकास प्रभावित होता है।
माता-पिता के नियंत्रण के साथ लापरवाही न बरतें
बच्चों के लिए खुद को रचनात्मक रूप से तलाशना और अभिव्यक्त करना महत्वपूर्ण है। उन्हें समझने और उनके सामने आने वाले बातों को समझने में मदद करने के लिए मार्गदर्शन की जरूरत होती है। रीना चोपड़ा ने बताया कि बच्चों के गलत संगीत और मीडिया के संपर्क को रोकने में माता-पिता का नियंत्रण महत्वपूर्ण है। कुछ माता-पिता अधिक लापरवाही बरतते हैं। ऐसा करने से बच्चों पर गहरा असर पड़ सकता है।
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