
हेल्थ डेस्क. बरसात के मौसम में मलेरिया सबसे ज्यादा फैलता है। प्लाज्मोडियम पैरासाइट से होने वाली इस बीमारी को मनुष्य के शरीर तक मादा एनोफिलीज मच्छर पहुंचाती है।यह बीमारी पांच पैरासाइट की वजह से होती है जिसमें दो पी. फाल्सीपेरम और पी. विवैक्स इंसानों के लिए सबसे खतरनाक होता है। अगर प्रेग्नेंट महिला इसकी शिकार हो जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकता है। सीवियर कॉम्प्लीकेशन्स हो सकते हैं और मौत का जोखिम बढ़ जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक सालाना 125 मिलियन से अधिक गर्भवती महिलाओं को मेलरिया होने का रिस्क रहता है।इसके होने से प्रीटर्म डिलीवरी, एनीमिया, जन्म के वक्त बच्चे का वजन कम होना या शिशु मृत्यु दर होने की आशंका रहती है। यहां तक कि किडनी फेल भी हो सकता है। दूसरे लोगों की तुलना में प्रेग्नेंट महिलाओं को मलेरिया होने की आशंका तीन गुना ज्यादा रहती है। हर साल 200,000 बच्चे इस बीमारी से मर जाते हैं।
प्रेग्नेंसी में मलेरिया के लक्षण
बुखार: तेज़ बुखार मलेरिया के प्रमुख लक्षणों में से एक है। यह संक्रमण पैदा करने वाले मलेरिया परजीवी के प्रकार के आधार पर चक्रों में आ और जा सकता है।
ठंड लगना और पसीना आना: मलेरिया में अक्सर अचानक और गंभीर ठंड लगती है, इसके बाद बुखार टूटने पर अत्यधिक पसीना आता है।
थकान: मलेरिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक थकान का अनुभव हो सकता है।
सिरदर्द: माइग्रेन जैसा सिरदर्द मलेरिया का एक सामान्य लक्षण है।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: मलेरिया के कारण मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है, जो काफी गंभीर हो सकता है।
मतली और उल्टी: कुछ महिलाओं को मतली और उल्टी का अनुभव हो सकता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।
एनीमिया: मलेरिया लाल रक्त कोशिकाओं में गिरावट का कारण बन सकता है, जिससे एनीमिया हो सकता है। एनीमिया मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में मलेरिया के ट्रीटमेंट
प्रेगनेंसी में मलेरिया का इलाज जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए। WHO प्रेग्नेंट महिलाओं में मलेरिया को रोकने और इलाज के लिए एंटी मलेरियल दवाएं देने की सलाह देता है।इसके अलावा महिलाओं को डॉक्टर की निगरानी में रखने की सलाह दी जाती है।
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