Tooth Decay:दांतों में कैविटीज़ का कारण न्यू बैक्टीरिया हो सकता है, स्टडी में हैरान करने वाला खुलासा

बच्चों में एक बड़े स्टडी से पता चला है कि सेलेनोमोनास स्पुतिगेना जो पहले केवल मसूड़ों की बीमारी से जुड़ी थी। अब वो स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स का भी कारण बन सकता है।

हेल्थ डेस्क. दांतों के सड़न को लेकर किए गए स्टडी में एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। यह कैविटीज के डेवलपमेंट को लेकर नया नजरिया देती है। इस स्टडी से भविष्य में दांतों के सड़न को रोकने के लिए मदद मिल सकती है। दांतों में कैविटीज लगने की वजह बैक्टीरिया हो सकता है। कैविटी पैदा करने में भूमिका निभाने के लिए सेलेनोमोनास प्रजाति को खोजने वाला यह पहला स्टडी है।

स्टडी में बैक्टीरियल जीन की एक्टिविटी देखी गई 

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इस शोध में 300 बच्चों के दांतों से प्लाक सैंपल लिए गए। जिनमें से आधे में सड़न मौजूद था। इसके कई परीक्षणों के साथ विश्लेषण किया गया। र पेन डेंटल मेडिसिन में सेंटर फॉर इनोवेशन एंड प्रिसिजन डेंटिस्ट्री में हुए इस स्टडी में देखा गया कि दांतों के सड़न में बैक्टीरियल जीन की एक्टिविटी देखी गई। इसके बाद शोधकर्ताओं ने 3 से 5 साल के बच्चों के 116 प्लाक के नमूनों को लिया और फिर से विश्लेषण किया। जिसका रिजल्ट सेम आया। मतलब सेलेनोमोनास स्पुतिगेना बैक्टीरिया जो मसूड़ों की बीमारी से जुड़ी है वो दांतों में कैविटीज पैदा करने की भी वजह बन सकती है।

सेलेनोमोनास स्पुतिगेना सड़न की प्रक्रिया को करता है तेज

यह अभूतपूर्व खोज दांतों की सड़न के कारणों के बारे में मौजूदा धारणाओं को चुनौती देती है। यह मौखिक माइक्रोबायोम के भीतर जटिल अंतःक्रियाओं पर प्रकाश डालता है। स्टडी में यह भी पता चला कि अकेले सेलेनोमोनास स्पुतिगेना (Selenomonas sputigena ) दांतों की सड़न का कारण नहीं बनता है। यह कैविटी प्रक्रिया को तेज करने के लिए स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंट जो कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया का सहयोग कर सकता है। एस म्यूटेंट चिपचिपा ग्लूकन बनाने के लिए चीनी का उपयोग करते हैं जो सुरक्षात्मक प्लेक इनवर्मेंट का हिस्सा बनते हैं।

दांतों की सफाई के साथ-साथ मसूड़ों की सफाई जरूरी 

यह शोध ओरल हेल्थ की दिशा में अहम योगदान दे सकती है। इसके साथ जो लोग दांतों को साफ करने के दौरान मसूड़ों की सफाई को इग्नोंर करते हैं उन्हें चाहिए कि वो अपने मसूड़ों की सफाई भी अच्छी तरह करें। ताकि सेलेनोमोनास स्पुतिगेना ना तो मसूड़ों को नुकसान पहुंचा पाए और ना ही इसकी पहुंच दांतों के सड़न तक हो।

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