महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कंपनी के साथ-साथ अब यूनिवर्सिटी भी मेंस्ट्रुएशन लीव देने की पॉलिसी बनाने लगे हैं। जिसमें असम के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शामिल है।
हेल्थ डेस्क. पेट में दर्द, कमर में दर्द, ज्यादा ब्लीडिंग और ना जाने क्या-क्या, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई सारी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके महिलाएं घर के साथ-साथ बाहर का काम भी संभालती हैं। लेकिन महिलाओं के इस मुद्दे को लेकर कई जगहों पर संवेदनशीलता अपनाई जा रही हैं। कई कंपनी मेंस्ट्रुएशन लीव देने लगी हैं। असम के नेशनल लॉ और ज्यूडिशियल अकादमी ने इसे लेकर एक फैसला किया है।
नेशनल लॉ और ज्यूडिशियल अकादमी में मिलेगी पीरियड्स लीव
तेजपुर यूनिवर्सिटी के बाद अब अपनी महिला छात्रों को मासिक धर्म अवकाश देने वाला पूर्वोत्तर का नेशनल लॉ और ज्यूडिशियल अकादमी दूसरा शैक्षणिक संस्थान बन गया है।हालांकि देश में ऐसी छुट्टियों के लिए कोई कानून नहीं है, लेकिन शैक्षणिक संस्थानों का आह्वान है कि वे महिला छात्रों के लिए प्रावधान करें।विश्वविद्यालय प्राधिकरण ने एक पत्र में कहा कि ऐसी छुट्टियां केवल तभी दी जाएंगी जब संबंधित छात्रा की प्रति पाठ्यक्रम में न्यूनतम 65% उपस्थिति हो। हालांकि सूत्रों के मुताबिक कहा गया है कि इसमें थोड़ी फ्लैक्सिबिलिटी हो सकता है। कुछ मामलों में उपस्थिति थोड़ी कम होने पर भी "मानवीय दृष्टिकोण" अपनाया जा सकता है।
दो राज्यों में है इसे लेकर नीति
बता दें कि भारत में मेंस्ट्रुएशन लीव को लेकर कोई अवकाश नीति नहीं बनाया गया है। लेकिन दो राज्यों बिहार और केरल ने महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश नीतियां पेश की हैं। बिहार की नीति 1992 में शुरू की गई थी, जिसके तहत कर्मचारियों को हर महीने दो दिन की सवैतनिक मासिक छुट्टी की अनुमति दी गई थी। लेकिन अब पूरे विश्व में इसे लेकर बहस छिड़ गई है। जिसके बाद कई कंपनियां नैतिक रूप से अपने महिला कर्मचारी को पीरियड्स लीव देने लगे हैं। ज़ोमैटो ,स्विगी और बायजस जैसी कंपनियां 10 दिन की भुगतान अवधि की छुट्टी की घोषणा की है।
पीरियड्स के लक्षण
बता दें कि पीरियड्स के दर्द में शरीर का कई हिस्सा प्रभावित होता है। पेट दर्द के अलावा, कमर, जांघों, घुटनों और पीठ के निचले हिस्से में होने लगता है। आपको क्रैम्प के साथ बुखार भी रहता है। कई बार महिलाएं अवसाद में भी चली जाती हैं।
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