स्ट्रोक आने से पहले दिखते हैं TIA के लक्षण, पहचान कर ट्रीटमेंट कराना जरूरी

Published : Feb 21, 2023, 07:44 AM ISTUpdated : Feb 21, 2023, 10:30 AM IST
stroke

सार

स्ट्रोक के लक्षण जो एक घंटे के भीतर गायब हो जाते हैं, जिसे ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) कहा जाता है। इसे पहचान कर तुरंत ट्रीटमेंट कराने की जरूरत होती है ताकि आने वाले वक्त में स्ट्रोक से बचा जा सके।

हेल्थ डेस्क. ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) जिसे मिनी-स्ट्रोक भी कहा जाता है वो बहुत ही कम समय में गायब हो जाता है। इसके लक्षण एक घंटे तक दिखते हैं। भविष्य में स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए टीआईए का आपातकालीन मूल्यांकन यानी ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक बयान के अनुसार टीआईए से पीड़ित लोगों के निदान से एक व्यापक नजरिया मिलता है जिससे भविष्य में स्ट्रोक से लोगों को बचाया जा सकता है।

टीआईए पीड़ित को आ सकता है स्ट्रोक

टीआईए मस्तिष्क में ब्लड फ्लो में टेम्पररी यानी अस्थायी रुकावट है। हर साल यूएस में करीब 240,000 लोग टीआईए का अनुभव करते हैं। हालांकि यह अनुमान टीआईए की कम रिपोर्टिंग का प्रतिनिधित्व कर सकता है क्योंकि लक्षण एक घंटे के भीतर चले जाते हैं। टीआईए स्थायी क्षति नहीं पहुंचाती है। टीआईए वाले 5 में से करीब 1 को तीन तीन महीने के भीतर पूर्ण विकसित स्ट्रोक होगा। वहीं इनमें से करीब आधे को दो दिन के भीतर हो गा। ऐसे में टीआईए को मिनी स्ट्रोक के बजाय चेतावनी स्ट्रोक के रूप में पहचानना जरूरी होता है।

टीआईए के लक्षण स्ट्रोक के लक्षणों के समान ही होते हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि इसके लक्षण कुछ घंटे के भीतर गायब हो जाते हैं। 

टीआईए के लक्षण-

चेहरा लटकना या सुन्न होना

शरीर के एक तरफ कमजोरी

शरीर के एक तरफ सुन्नता

शब्द बोलने में परेशानी आना

चक्कर आना,

नजर का कमजोर पड़ जाना

चलने में दिक्कत होना

टीआईए पीड़ित की पूरी जांच जरूरी

येल न्यू हेवन अस्पताल के साइंटिफिक स्टेटमेंट राइटिंग कमेटी के अध्यक्ष और न्यूरोलॉजी और मेडिकल स्ट्रोक डायरेक्टर के एसोसिएट प्रोफेसर हार्दिक पी. अमीन ने कहा, 'टीआईए का ट्रीटमेंट करना मुश्किल होता है, क्योंकि अधिकांश मरीज इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचने से पहले ही ठीक हो जाते हैं। लक्षण गायब होने की वजह से डॉक्टर इसका सही आंकलन नहीं कर पाते हैं। लेकिन जब मरीज टीआईए का लक्षण लेकर इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे तो वहां उसका ब्लड टेस्ट करना चाहिए। ताकि तमाम स्थितियों का पता लगाया जा सके जिससे टीआईए जैसे लक्षण हो सकते हैं। लो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज,हाई कोलेस्ट्रोल जैसे हृदय जोखिम वाले कारकों की जांच करना।

टीआईए से हार्ट पर असर पड़ सकता है

एक बार टीआईए का निदान हो जाने के बाद, दिल से संबंधित कारकों के कारण टीआईए होने की संभावना के कारण कार्डियक वर्क-अप की सलाह दी जाती है।अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सिफारिश है कि टीआईए के छह महीने के भीतर लंबे समय तक दिल की निगरानी करना उचित है यदि प्रारंभिक मूल्यांकन टीआईए या स्ट्रोक के कारण के रूप में दिल की ताल से संबंधित समस्या का सुझाव देता है।

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