हाई कोलेस्ट्रॉल से हॉट फ्लैश तक, मेनोपॉज आते ही दिखने लगती हैं इतनी समस्याएं

World Menopause Day 2024:  मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन का स्तर घटता है। जानिए मेनोपॉज के सामान्य लक्षणों के बारे में।

 

हेल्थ डेस्क: 18 अक्टूबर को वर्ल्ड मेनोपॉज डे (World menopause day 2024) मनाया जाता है। इस दिन का खास महत्व लोगों को मेनोपॉज संबंधी जानकारी देना है। रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के अंडाशय में अंडे बनना बंद हो जाते हैं। साथ ही शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन जैसे हार्मोन का प्रोडक्शन भी कम हो जाता है। शरीर में हार्मोन के बदलते स्तर के कारण कई लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं। अगर महिला को 1 साल तक पीरियड्स नहीं आते हैं तो इस पोस्ट मेनोपॉज कहा जाता है। मेनोपॉज होने पर शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं दिखाई पड़ती हैं।

मेनोपॉज के कारण हॉट फ्लैश

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महिलाओं में शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे की छाती, गर्दन और चेहरे में बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है। साथ ही त्वचा लाल हो जाती है और दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं। इस समस्या को हॉट फ्लैश कहते हैं। मेनोपॉज में हॉट फ्लैश होना बेहद आम बात है। ऐसा बदलते हॉर्मोन लेवल के कारण होता है। हॉट फ्लैश की समस्या दिनभर में किसी समय भी हो सकती है। महिलाओं को करीब 3 से 4 मिनट तक बहुत ज्यादा गर्मी महसूस होती है। वहीं रात में होने वाले हॉट फ्लैश को नाइट स्वैट के नाम से भी जाना जाता है। हॉट फ्लैश के कारण महिलाओं को चिड़चिड़ापन, थकान आदि की समस्या भी हो जाती है।

पीरियड्स बंद होने पर हाई कोलेस्ट्रॉल

मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल यानी कि LDL बढ़ने लगता है। ऐसा एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण होता है। महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का लेवल 10 से 20 डिसीलीटर के बीच तक बढ़ जाता है और ट्राईग्लीसराइड भी बढ़ने लगते हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण महिलाओं को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टर नमक कम खाने की सलाह देते हैं और साथ ही डाइट में फल और सब्जियां अधिक खाने  की सलाह दी जाती है। 

यूरिन लीकेज का प्रॉब्लम 

पीरियड्स बंद होने पर सिर्फ हॉर्मोन लेवल के बदलने भर से ही महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यूरिन कंट्रोल न कर पाना,  छींकने और हंसते मात्र से ही महिलाओं की यूरिन लीक हो जाती है। साथ ही UTI का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर आप ऐसी समस्या महसूस कर रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा 

मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियों पर भी बुरा असर पड़ता है। एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी के कारण हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है। मोनोपॉज के 5 साल बाद तक महिलाओं की हड्डियों की डेंसिटी करीब 10% तक कम हो जाती है जिससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।जरा सा धक्का लगने पर भी हड्डी के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में खाने में दूध, मछली और कैल्सियम वाली डाइट लेनी चाहिए।

राजोनिवृत्ति या मेनोपॉज का सामना एक उम्र के बाद महिला को करना ही पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि आप डॉक्टर से संपर्क कर अपनी डाइट के साथ ही लाइफस्टाइल में चेंज करें। कुछ बातों का ध्यान रख मेनोपॉज के लक्षणों से छुटकारा पाया जा सकता है। 

और पढ़ें: World Osteoporosis Day Tip: हड्डियों को मजबूत बनाने के 8 उपाय

 

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