मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स में क्या है अंतर, कौन है ज्यादा खतरनाक?

मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स का संक्रमण होने पर एक ही तरह के लक्षण दिखते हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग बीमारियां हैं। आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है और इनसे कैसे बचा जा सकता है।

Vivek Kumar | Published : Aug 22, 2024 5:48 AM IST / Updated: Aug 22 2024, 11:26 AM IST

हेल्थ डेस्क। अफ्रीका में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। WHO ने इसको लेकर चेतावनी जारी की है। मंकीपॉक्स संक्रमण की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं हैं। इससे लोगों के मन में संदेह हुआ है कि क्या यह चिकनपॉक्स (Chickenpox) जैसी बीमारी है। दोनों बीमारियों के लक्षण में समानता है। दोनों में मरीज के शरीर पर चकत्ते और छाले उठते हैं। उसे तेज बुखार होता है। हालांकि ये दोनों बीमारी अलग-अलग हैं। इनके बीच के अंतर को जानना जरूरी है।

क्या है मंकीपॉक्स?

Latest Videos

मंकीपॉक्स बीमारी मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के चलते होता है। यह ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का सदस्य है। इसमें चेचक भी शामिल है। इसकी पहली पहचान 1958 में बंदरों में हुई थी। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। इंसान में संक्रमण का पहला मामला 1970 में कांगो में सामने आया था।

मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में पाया जाता है। यह संक्रमित जानवरों (जैसे चूहे, बंदर) के संपर्क में आने से इंसान में फैलता है। एक इंसान से दूसरे इंसान में इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। वर्तमान में कांगो में मंकीपॉक्स वायरस का क्लेड 1बी स्ट्रेन लोगों को संक्रमित कर रहा है।

क्या हैं मंकीपॉक्स के संक्रमण के लक्षण

मंकीपॉक्स का संक्रमण लगने पर मरीज को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और पीठ दर्द होता है। इसके बाद उसके लिम्फ नोड्स में सूजन होता है। चिकनपॉक्स के मरीज के लिम्फ नोड्स में सूजन नहीं होता।

कुछ दिनों के बाद मरीज के शरीर पर दाने विकसित होते हैं। ये अक्सर चेहरे से शुरू होते हैं और फिर शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। दाने अंत में तरल पदार्थ से भरे छालों में बदल जाते हैं।

क्या हैं चिकनपॉक्स के लक्षण?

चिकनपॉक्स का संक्रमण लगने पर मरीज को शुरू में बुखार लगता है। उसे थकान महसूस होती है। बाद में शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं। ये चकत्ते दाने में बदल जाते हैं। ये आमतौर पर चेहरे, खोपड़ी या धड़ पर शुरू होते हैं और बाहर की ओर फैलते हैं। दाने पहले लाल धब्बे, फिर तरल पदार्थ से भरे छाले और फिर पपड़ी में बदल जाते हैं। मंकीपॉक्स के विपरीत चिकनपॉक्स के छाले आमतौर पर एक ही समय में विभिन्न चरणों में होते हैं।

चिकनपॉक्स से कम संक्रामक है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स की तुलना में चिकनपॉक्स अधिक तेजी से फैलता है। मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति या पशु के शरीर के फ्लूड या घावों के सीधे संपर्क से फैल सकता है। यह नाक से निकले वाली हवा में मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदों से भी फैल सकता है, हालांकि ऐसा कम होता है। वायरस इंसान के शरीर से बाहर किसी वस्तु पर कुछ समय तक जीवित रह सकता है, लेकिन दूषित वस्तुओं के माध्यम से संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है।

मंकीपॉक्स में संक्रमण लगने के बाद रोग के लक्षण लगभग 7-14 दिन बाद दिखते हैं। इसमें 5-21 दिन भी लग सकते हैं। बीमारी आम तौर पर 2-4 सप्ताह तक चलती है। गंभीर मामलों में ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।

अत्यधिक संक्रामक है चिकनपॉक्स

चिकनपॉक्स अत्यधिक संक्रामक है। यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है। यह फफोले के कणों को छूने या या दूषित सतहों को छूने से भी फैल सकता है। संक्रमण लगने के 10-21 दिन बाद शरीर पर दाने निकल आते हैं। यह तब तक जारी रहती है जब तक कि सभी फफोले पपड़ी नहीं बन जाते। बीमारी आमतौर पर लगभग 1-2 सप्ताह तक चलती है। दाने को अपने सभी चरणों से गुजरने में आमतौर पर 1-2 सप्ताह लगते हैं। सभी घावों को पूरी तरह से ठीक होने में कई और दिन लगते हैं।

मंकीपॉक्स के 1-10%​ मरीज की होती है मौत

मंकीपॉक्स के संक्रमण के मामले में मृत्युदर 1-10%​ है। जिन लोगों की रोग निरोधी क्षमता दूसरी बीमारी के चलते पहले से ही कमजोर हो उन्हें इससे अधिक खतरा रहता है।

यह भी पढ़ें- संभलकर! कहीं आप तो नहीं हो रहे फैटी लीवर के शिकार, ये हैं लक्षण

स्वस्थ बच्चों में चिकनपॉक्स का संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है। यह वयस्कों और कमजोर रोग निरोधी क्षमता वाले लोगों में अधिक गंभीर हो सकता है। इसके चलते त्वचा के बैक्टीरिया का संक्रमण, निमोनिया और एन्सेफलाइटिस हो सकते हैं। चिकनपॉक्स शायद ही कभी घातक होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और कमजोर रोग निरोधी क्षमता वाले लोगों में गंभीर हो सकता है। इसकी मृत्यु दर बेहद कम है।

मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स से कैसे करें बचाव

मंकीपॉक्स से बचने के लिए ऐसे जानवरों के संपर्क से बचना चाहिए जिनमें वायरस होने का खतरा हो। मंकीपॉक्स के लिए कोई विशिष्ट टीका नहीं है। वायरस के बीच समानता के कारण चेचक के टीकाकरण से कुछ सुरक्षा मिलती है।

यह भी पढ़ें- Health Tips: Weight Loss और Diabetes कम करना है तो किस तरह का भोजन करें?

चिकनपॉक्स को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। वैरिसेला वैक्सीन चिकनपॉक्स को रोकने या बीमारी होने पर इसकी गंभीरता को कम करने में अत्यधिक प्रभावी है।

Share this article
click me!

Latest Videos

'तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी', Chandra Babu Naidu के बयान पर बवाल
Amit Shah LIVE: प्रधानमंत्री गरीब परिवार में पैदा हुए लेकिन 15 देशों ने उन्हें सम्मान दिया
2nd AC में आधी रात महिला वकील ने काटा बवाल, वीडियो बनाते रहे TTE साब
'वन नेशन वन इलेक्शन' पर मोदी कैबिनेट का बहुत बड़ा फैसला । One Nation One Election
Z+ से विवादित बंगला तक...मुख्यमंत्री आतिशी को मिलेंगी 6 सुविधाएं । Atishi Delhi CM News