चांदीपुरा वायरस के चलते गुजरात में 4 बच्चों की मौत हो गई है। यह अधिकतर बच्चों को संक्रमित करता है। इसका संक्रमण सैंड फ्लाइ के काटने से फैलता है।
नई दिल्ली। गुजरात के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार चांदीपुरा वायरस (Chandipura virus) से चार बच्चों की मौत हो गई है। मरने वाले चार बच्चों में से एक साबरकांठा जिले का था। दो बच्चे अरावली जिले के थे। चौथा बच्चा राजस्थान का था। इस अस्पताल में राजस्थान के दो बच्चों का इलाज चल रहा है। सभी छह बच्चों के खून का सैंपल पुणे स्थित NIV (National Institute of Virology) भेजा गया है। रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
क्या है चांदीपुरा वायरस?
चांदीपुरा वायरस रैबडोविरिडे परिवार और वेसिकुलोवायरस वंश से है। इसके बारे में जानकारी कम है। इसकी सबसे पहले पहचान 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में फैलने पर की गई थी। इसी वजह से इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया। भारत के विभिन्न भागों के साथ-साथ एशिया और अफ्रीका के अन्य देशों में भी इसके संक्रमण की खबरें आईं हैं।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण
चांदीपुरा वायरस मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, जिसके कारण बुखार और ऐंठन होती है। आंख, नाक और कान जैसे संवेदी अंगों को काम करने में दिक्कत होती है। संक्रमण गंभीर होने पर मरीज कोमा में जा सकता है। उसकी मौत तक हो सकती है। इसके संक्रमण का मृत्यु दर अधिक है। चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से ब्रेन में गंभीर सूजन होता है। यह एन्सेफलाइटिस के प्रकोप से जुड़ा हुआ है। यह वायरस संक्रमित सैंडफ्लाई के काटने से इंसानों में फैलता है।
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चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से कैसे करें बचाव?
चांदीपुरा वायरस का संक्रमण सैंडफ्लाई से फैलता है। अगर किसी इलाके में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण का मामला सामने आता है तो इसे फैलने से रोकने के लिए सैंडफ्लाई की संख्या कम करनी होगी। इसके लिए इलाके में कीटनाशक का छिड़काव करना होगा। मच्छरदानी का इस्तेमाल कर और शरीर को कपड़े से ढंककर सैंडफ्लाई के काटने से खुद को बचा सकते हैं। चांदीपुरा वायरस संक्रमण के लिए कोई खास एंटीवायरल इलाज उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसका इलाज लक्षणों के इलाज से होता है।
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