Difference between type 1 and 2 diabetes: इंसानों को दो तरह की डायबिटीज होती है टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। इन दोनों डायबिटीज में अंतर क्या होता है और कौन सी ज्यादा खतरनाक हो सकती है, आइए हम आपको बताते हैं।
हेल्थ डेस्क: डायबिटीज एक ऐसी घातक बीमारी है, जिससे कई अन्य बीमारियां भी जन्म ले लेती हैं। एक बार जिस व्यक्ति को डायबिटीज हो जाता है उसे ताउम्र अपने इंसुलिन और शुगर लेवल को कंट्रोल करना पड़ता है। डायबिटीज दो तरह की होती है टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। अक्सर लोगों का सवाल होता है कि टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में अंतर क्या होता है और उसमें से कौन सी डायबिटीज ज्यादा खतरनाक होती है? तो चलिए हम आपको बताते हैं टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में...
टाइप 1 डायबिटीज
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब किसी इंसान को टाइप 1 डायबिटीज होती है तो शरीर बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता है। यह डायरेक्ट इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देते हैं। इस डायबिटीज को ऑटोइम्यून स्थिति के रूप में भी जाना जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप डायबिटीज ऑटोइम्यून बीमारी नहीं होती है। इसका मतलब यह होता है कि आपका शरीर इंसुलिन तो बनाता है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है या वह जो इंसुलिन बना रहा है वह ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रहा है। इसी कारण टाइप-2 डायबिटीज होती है। टाइप 1 डायबिटीज की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित मरीज ज्यादा होते हैं। लेकिन टाइप-1 डायबिटीज ज्यादा खतरनाक होती है।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम
टाइप 1 डायबिटीज के जोखिम में फैमिली हिस्ट्री सबसे बड़ा कारण है। अगर आपके परिवार में किसी को टाइप-1 डायबिटीज है, तो आपको यह डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज बढ़ती उम्र, फैमिली हिस्ट्री, मोटापा, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, चीनी का अधिक सेवन करने की वजह से भी हो सकती है।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज का इलाज या रोकथाम
टाइप 1 डायबिटीज का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, इसके लिए कई रिसर्च जारी है। केवल दवाओं से ही टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज का भी कोई इलाज नहीं है। लेकिन अगर हेल्दी लाइफस्टाइल जी जाए और चीनी का सेवन नहीं किया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण समान ही होते हैं, इसलिए लोग इसमें अंतर नहीं कर पाते हैं। इसमें बार-बार पेशाब आना, बहुत ज्यादा प्यास लगना, थका हुआ महसूस करना, बेवजह पतला या मोटा होना, गुप्तांग में खुजली या रैशेज होना, चोट लगने या कटने पर उसे भरने में समय लगना, भूख का कम या ज्यादा होना आदि शामिल हैं।
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