सार
Post-partum ऐसी मनोविकृति है जो कुछ महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद होती है। इसमें महिला अपने नवजात बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है।
हेल्थ डेस्क। हाल ही में जर्मनी में एक 28 साल की महिला ने अपनी नवजात बेटी को खिड़की से बाहर फेंक दिया। उसे लगा कि बच्ची उसे पोर्श में कार्यकारी के रूप में उसका कैरियर को बर्बाद कर देगी।
कैटरीना जोवानोविक नाम की इस महिला की बहुत निंदा की गई, उसे 'क्रूर' कहा गया। उसे अपनी नवजात बेटी की मौत के लिए साढ़े सात साल की जेल की सजा सुनाई गई है। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर एक और बात कही जा रही है। कुछ लोगों ने कहा है कि हो सकता है जोवानोविक Post-partum नाम के मनोविकृति से पीड़ित हो सकती हैं। यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। यह नई माताओं को प्रभावित कर सकती है।
क्या है Post-partum मनोविकृति?
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ईशा वधावन ने बताया है कि प्रसवोत्तर (Post-partum) मनोविकृति को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति माना जाता है। बच्चा जन्म देने वाली 1000 महिलाओं में से 1 या 2 को यह हो सकता है। यह मनोविकृति आमतौर पर बच्चे के जन्म के दिन से लेकर छह सप्ताह तक रहती है।
अवसाद से अलग है प्रसव के बाद की मनोविकृति
प्रसव के बाद की मनोविकृति अवसाद से अलग है। प्रसव के बाद की मनोविकृति बच्चे के जन्म लेने के कुछ समय तक रहती है। दूसरी ओर अवसाद एक अलग तरह का मनोविकार है। जन्म लेने के बाद शुरू में बच्चा अधिक रोता है। इससे मां को दो सप्ताह से ज्यादा समय तक मूड खराब रहना, भूख न लगना और नींद न आना जैसी समस्या हो सकती है। लगभग 5-10 प्रतिशत महिलाएं इस स्थिति से जूझती हैं। प्रसव के बाद की मनोविकृति गंभीर स्थिति है। यह उन महिलाओं में होती है जिनका गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति का इतिहास रहा है। या उनके परिवार में इसका इतिहास रहा हो।
Post-partum मनोविकृति पर क्यों बात नहीं करते लोग?
Post-partum मनोविकृति के बारे में गंभीर बात यह है कि लोग इसको लेकर बात नहीं करते। इसकी वजह जानकारी की कमी है। लोग इस स्थिति के लिए महिला को ही दोषी ठहराते हैं। अगर कोई महिला इस मनोविकृति से पीड़ित है तो वह खुद को या अपने बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर कोई महिला इस स्थिति का सामना कर रही हो तो उसकी जल्द से जल्द पहचान करना जरूरी है। उसका इलाज किया जा सकता है।
क्या है Post-partum मनोविकृति का कारण?
किसी भी महिला में Post-partum मनोविकृति हो इसका कोई एक कारण नहीं है। यह कई कारकों के परस्पर क्रिया करने से पैदा होता है। बच्चे के जन्म के बाद मां के शरीर के हार्मोन तेजी से बदलते हैं। यह मनोविकृति की शुरुआत में योगदान दे सकते हैं।
जो महिला पहले से बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित हो उसमें इस मनोविकृति पैदा होने का जोखिम अधिक होता है। जिस महिला के परिवार के किसी सदस्य को दिमाग की बीमारी हो उसमें इसका खतरा अधिक होता है। नींद की कमी और तनाव से भी यह परेशानी होती है।
Post-partum मनोविकृति के लक्षण
- ऐसी चीजें देखना या सुनना जो वास्तविक नहीं हैं।
- ऐसी धारणाएं रखना जो वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं।
- अचानक मूड बदलना। जल्द उत्साहित हो जाना या गंभीर अवसाद में चले जाना।
- स्पष्ट रूप से सोचने में कठिनाई, अव्यवस्थित विचार और फैसला लेने में कमी।
- बिना किसी कारण के डरना और स्वभाव के विपरीत व्यवहार करना।
- खुद को या बच्चे को नुकसान पहुंचाने के बारे में लगातार सोचना।
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Post-partum मनोविकृति का इलाज
अगर किसी महिला में Post-partum मनोविकृति है तो उसे तत्काल इलाज की जरूरत होती है। इसके लिए दिमाग के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। गंभीर मामलों में गहन देखभाल की जरूरत होती है। मां और बच्चा दोनों की सुरक्षा तय करने के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। इस मनोविकृति से जूझ रही महिला के लिए परिवार का सहयोग सबसे अधिक मायने रखता है।
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