क्या है मंकी फीवर, जिससे यहां हो चुकी है दो की मौत, जानें इस बुखार के लक्षण और बचाव

कर्नाटक में मंकी फीवर का कहर बढ़ता जा रहा है। अब तक इस बुखार ने 2 लोगों की जान ले ली है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सबकुछ।

 

Nitu Kumari | Published : Feb 6, 2024 4:35 AM IST

हेल्थ डेस्क. कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में 'मंकी फीवर'(monkey fever) का प्रकोप बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अब तक इस बुखार की वजह से 2 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं इस वायरस से करीब 49 लोग बीमार है जिसकी पुष्टि हो चुकी है। कर्नाटक के हेल्थ डिपार्टमेंट इस बीमारी से निपटने क लिए तैयारी में जुट गई है। इस बीमारी का कनेक्शन कर्नाटक से ही जुड़ा हुआ है।

बता दें कि कर्नाटक में इस फीवर की वजह से दो लोगों की मौत हो चुकी है। पहली मौत 8 जनवरी को 18 साल की एक युवती की मौत हो गई। मृतक शिवमोग्गा जिले के होसानगर तालुक की रहने वाली थी। वहीं, दूसरी मौत उडुपी जिले के मणिपाल के चिक्कमंगलुरु के श्रृंगेरी तालुक में रहने वाले 79 साल के बुजुर्ग की हो गई।

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क्या है मंकी फीवर

मंकी फीवर जिसे क्यासानूर फॉरेस्ट डिजिज (KFD) के रूप में भी जाना जाता है, एक वायरल क्तस्रावी बुखार है जो मनुष्यों और बंदरों को प्रभावित करता है। इस बीमारी का नाम भारत के कर्नाटक में क्यासानूर जंगल के नाम पर रखा गया है, जहां इसकी पहचान पहली बार 1957 में हुई थी। यह रोग क्यासानूर फॉरेस्ट डिजिज वायरस (KFDV) के कारण होता है। जो फ्लेविविरिडे परिवार से संबंधित है। वायरस के प्राथमिक मेजबान छोटे स्तनधारी और बंदर हैं, विशेष रूप से काले चेहरे वाले लंगूर (प्रेस्बिटिस एंटेलस) और लाल चेहरे वाले बोनट बंदर (मकाका रेडियोटा)। बंदर के शरीर में चिपकने वाले टिक्स (किलनी) के काटने से यह बीमारी मनुष्य में फैलती है। कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र और गोवा में इसके केस देखने को मिले हैं।

मंकी फीवर के लक्षण

-अचानक तेज बुखार

-गंभीर सिरदर्द

-उल्टी-दस्त मांसपेशियों में दर्द

-गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल

-थकान

मंकी फीवर के गंभीर लक्षणों में नाक और मसूड़ों में खून भी आ सकता है। कई तरह के न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स हो सकता है। गंभीर मामलों में मौत की दर बढ़ जाती है।

मंकी फीवर से बचाव

मंकी फीवर का कोई विशेष इलाज नहीं है। इसके लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। इसके अलावा इस बीमारी से बचने के लिए पूरे तन को ढकने वाले कपड़े पहने। कीट प्रतिरोधी का उपयोग करें।जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए भी एक वैक्सीन मौजूद है। जैसे कि जंगली क्षेत्रों में काम करने वाले लोग जहां वायरस स्थानिक है।

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