World cancer day 2024: कैंसर के लास्ट स्टेज में नजर आता है ये लक्षण, इन बातों का रखें ख्याल

कैंसर का सही वक्त पर इलाज ना हो तो फिर यह जानलेवा बीमारी है। दुनिया में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। लास्ट स्टेज में कैंसर पहुंचने से बचने की संभावना ना के बराबर हो जाती है।

Nitu Kumari | Published : Feb 2, 2024 5:05 AM IST / Updated: Feb 02 2024, 12:54 PM IST

हेल्थ डेस्क. कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के अंदर एक डर फैल जाता है। कैंसर पेशेंट तो जीने की उम्मीद ही खो देते हैं। कई ऐसे कैंसर है जिसका इलाज मुमकीन है। लेकिन कुछ का इलाज अभी भी संभव नहीं हो पाया है। लेकिन जिन कैंसर का इलाज मुमकीन होता है उसके लक्षणों की अनदेखी अक्सर लोग कर जाते हैं और इसके लास्ट स्टेज में पहुंच जाते हैं। वर्ल्ड कैंसर डे (World cancer day 2024) जो 4 फरवरी को हैं, इस मौके पर हम 4th स्टेज के कैंसर के लक्षण के बारे में जिक्र करेंगे। इसके साथ ही यह बताएंगे कि कैसे ऐसे वक्त में आप पेशेंट का सहारा बन सकते हैं।

कैंसर से जुड़े एक स्टडी के मुताबिक कैंसर के लास्ट स्टेज में तीन लक्षण लगातार जुड़े होते हैं। 2020 में मेडिकल जर्नल लैंसेट ऑन्कोलॉजी के शोधकर्ताओं 7 हजार से ज्यादा कैंसर के मरीजों के हर स्टेज के लक्षणों का विश्लेषण किया और पाया कि 80 प्रतिशत लोगों में बॉडी के ऊपरी भाग में तीन समान लक्षण फोर्थ स्टेज में नजर आएं।

4th स्टेज के 3 लक्षण

-गर्दन की गांठ

-सीने में दर्द

-पीठ में दर्द

अगर बात कैंसर के सामान्य लक्षण की करें तो वो इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। आम तौर पर कैंसर से जुड़े ये लक्षण नजर आते हैं।

-गांठ

-वजन का तेजी से घटना

-स्किन के रंग में परिवर्तन

-थकान

-आंत की आदतों में बदलाव

-खांसी या सांस लेने में दिक्कत होना

-लगातार अपच

-बेचैनी

-निगलने में कठिनाई

-लगातार मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द

-सोने के बाद पसीना आना

-क्या होता है लास्ट स्टेज में

कैंसर के लास्ट स्टेज में बचना मुमकीन नहीं होता है। दवाओं और मेडिकल ट्रीटमेंट से पेशेंट को कुछ दिन तक बचाया जा सकता है। लेकिन कैंसर तेजी से पूरे शरीर में फैल चुका होता है इसलिए बचना मुमकीन नहीं होता है।

अलविदा के वक्त कैंसर पेशेंट में नजर आते हैं ये लक्षण

जब पेशेंट मौत के करीब होता है तो उसमें आप शारीरिक परिवर्तन देख सकते हैं। जैसे सांस लेने में बदलाव, मूत्राशय और आंत पर नियंत्रण खोना और बेहोशी।

-पेशेंट बहुत ज्यादा सोने लगता है।जब आप उन्हें जगाने की कोशिश करेंगे तो हो सकता है कि वे प्रतिक्रिया न दें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे आपकी बात नहीं सुन सकते। श्रवण लुप्त होने वाली अंतिम इंद्रियों में से एक हो सकता है। आप उसके करीब बैठ सकते हैं, उसका हाथ पकड़कर बात कर सकते हैं।

-जब कोई मर रहा होता है तो अक्सर उसकी सांसें बदल जाती हैं। यह शोरगुल वाला और अनियमित हो सकता है।कई बार ऐसा भी हो सकता है कि वे कुछ सेकंड के लिए सांस लेना बंद कर दें। इसे चेन स्टोकश्वास कहा जाता है।

-मरने वाले व्यक्ति का चेहरा, हाथ, बाजू, पैर और टांगें अक्सर छूने पर बहुत ठंडे हो जाते हैं। उनकी त्वचा भी पीली हो सकती है और धब्बेदार दिख सकती है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर के इन अंगों में रक्त संचार कम हो जाता है। उन्हें कंबल से गर्म रखें।

-जीवन के अंत में शरीर का कैमिकल बैलेंस पूरी तरह बदल जाता है। जिसकी वजह से उसे भ्रम होता है। वो चेहरे को भूलने लगता है। मरने वाला व्यक्ति फिर बेहोश हो जाता है। यह आमतौर पर अंत की ओर ऐसा होता है।

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