दिन में 22 घंटे सोती है ये महिला, खाने की भी नहीं होती फिक्र, जानें किस बीमारी की शिकार है वो

7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है लेकिन कुछ लोग 10 घंटे भी सोते हैं। लेकिन इससे ज्यादा सोने की कोई सोच नहीं सकता है। लेकिन एक महिला दिन में 18-22 घंटे सोती है। वो बामुश्किल ही खाना खाने के लिए उठती हैं।

हेल्थ डेस्क. हेल्दी लाइफ के लिए 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है। कुछ लोग इससे कम तो कुछ लोग एक दो घंटे ज्यादा सोते हैं। लेकिन जोआना कॉक्स (Joanna Cox) नाम की महिला 18-22 घंटे तक सोती हैं। एक बार तो कॉक्स चार दिन तक सोती ही रह गई। वो बमुश्किल ही खाने के लिए उठ पाती हैं। सवाल है कि आखिर 38 साल की जोआन कॉक्स क्यों इतना सोती हैं। उन्हें सोना पसंद है या फिर ये कोई बीमारी है? जवाब है कि वो एक रेयर डिजिज से पीड़ित हैं। जो उन्हें ज्यादा देर तक जागने नहीं देता है।

जोआन कॉक्स को इडियोपैथिक हाइपर्सोमनिया (idiopathic hypersomnia) के डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। यह एक रेयर डिजिज है, जो बहुत ही कम लोगों में पाई जाती है। इस बीमारी के शिकार लोगों को नींद पर काबू नहीं होती है। जोआना 'याहू' को दिए इंटरव्यू में बताती हैं कि जब तक उन्हें इस बीमारी के बारे में पता नहीं था, तब वो कही भी सो जाती थी। नाइट आउट के दौरान कार के पिछली सीट पर सो जाती थी। कुर्सी पर सो जाती थी। उन्हें भूख भी नहीं लगती है। वो प्रोटीन शेक और रेडी टु ईट फूड पर सर्वाइव कर रही हैं।

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नींद से खराब हो गई जिंदगी

दो बच्चों की मां को अक्टूबर 2021 में इस बीमारी के बारे में पता चला था। वो कहती हैं कि अगर वो जागने की कोशिश करती हैं तो उन्हें अजीब गरीब चीजें नजर आने लगती हैं। जैसे कि उनके बिस्तर पर मकड़ियां चल रही हैं। उनके याददाश्त पर भी असर हो रहा है। बहुत सी थेरेपीज और दवाइयों के बाद भी हाल में एक दिन 12 घंटे जाग सकी थी। वो बताती हैं कि उनकी जिंदगी इस बीमारी ने खराब कर दी। वो काम नहीं कर सकती हैं। फैमिली के साथ वक्त नहीं गुजार पाती हैं।

इडियोपैथिक हाइपर्सोमनिया के लक्षण

इडियोपैथिक हाइपरसोमनिया के शिकार लोग रात में सोकर सुबह जब उठते हैं तो वो नींद में ही रहते हैं। वो फ्रेश फील नहीं करते हैं। कई बार दिमाग कंफ्यूजन रहता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को पता नहीं चलता है कि क्या करना है और क्या नहीं।

इडियोपैथिक हाइपरसोमनिया का इलाज

इसका कोई सटीक इलाज अभी तक बना नहीं हैं। लेकिन डॉक्टर ट्रीटमेंट के जरिए इसे थोड़ा काम किया जा सकता है। इस बीमारी के शिकार लोगों को ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए। इसके साथ अपने नींद के पैटर्न को नोट करना चाहिए। जिससे आप पता लगा सकते हैं कि किस वक्त आपको ज्यादा नींद आती है। इसके बाद आप अपने उस काम को निपटा सकते हैं जिस वक्त आप जाग रहे होंगे।

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